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अपने भवन और मुखिया को तरसता सरकारी महाविद्यालय

locationजयपुरPublished: Mar 23, 2018 03:31:43 pm

Submitted by:

Priyanka Yadav

करीब साढ़े चार साल से चल रहा अस्थायी भवन में, छात्रों के संघर्ष के बाद भी नहीं हो रही सुनवाई

government college
जयपुर . अगस्त, 2013 में जयपुर में राजकीय कॉलेज खोला गया और झालाना स्थित सीईजी के चार कमरों से इसकी शुुरुआत की गई। मई,2014 में इसको पोद्दार स्कूल की दूसरी मंजिल पर जगह दी गई और तब से वह यहां संचालित हो रहा है। करीब 1500 विद्यार्थी वर्तमान में कॉलेज में पढ़ रहे हैं और हालात यह है कि उनको बैठने के लिए जगह तक नहीं है। कई बार छात्रों ने इस संबंध में शिकायत की पर कोई ध्यान ही नहीं दिया गया। जो जगह अलॉट हुई वहां बन रहे टेनिस कोर्ट कॉलेज को भवन के लिए वर्ष, 2015 में पोद्दार स्कूल के पास खाली पड़ी 27000 वर्गगज जमीन अलॉट हुई थी और वर्ष, 2016 में 102 करोड़ रुपए का बजट देने की घोषणा हुई। करीब 37.94 करोड़ रुपए स्वीकृत भी हो गए और एकाएक हुए घटनाक्रम के बाद सारी प्रक्रिया ठप हो गई। जो जमीन कॉलेज के लिए अलॉट की गई है वहां अब टेनिस कोर्ट बन रहे हैं।
कॉमर्स, आर्ट और साइंस की फैकल्टी

राजकीय कॉलेज में कॉमर्स, आर्ट और साइंस की फैकल्टी है और तीनों में करीब 1250 विद्यार्थी अध्ययनरत है। अस्थायी कमरों में चल रहे कॉलेज के पास प्रेक्टिकल के लिए लैब तक नहीं है।
प्रदेश का पहला कॉलेज जहां 250 मूक बधिर विद्यार्थी

सबसे बड़ी बात यह है कि यह प्रदेश का एकमात्र ऐसा सरकारी कॉलेज है, जहां 250 के करीब मूक बधिर विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। इसके बाद भी उनकी बात को समझने वाला यहां कोई नहीं है। हालात यह है कि उनको पढ़ाने के लिए अस्थायी रूप से विशेषज्ञ की सहायता ली जाती है। शिक्षक की बात को विशेषज्ञ उन तक पहुंचाता है।
15 जनवरी के बाद से प्रिंसिपल नहीं

छात्रसंघ अध्यक्ष हरिओम सिंघल ने बताया 15 जनवरी को कॉलेज में प्रिंसिपल के रूप में कार्यरत विमला शर्मा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी, तब से अब तक वहां प्रिंसिपल नहीं है। अस्थायी रूप से डॉ.पुष्पा पारीक प्रिंसिपल का काम देख रही है। कॉलेज के भवन निर्माण के लिए राज्यपाल, उच्च शिक्षा मंत्री और कॉलेज शिक्षा आयुक्त से मिल चुके हैं, पर सुनवाई नहीं हुई। सरकार कॉलेज खोलने की घोषणा तो कर देती है पर फिर ध्यान नहीं दिया जाता।
छात्रसंघ महासचिव मुकेश सैनी ने बताया कॉलेज की जमीन को लेकर कई बार संघर्ष किया। पुलिस की लाठी भी खाई और छह माह के लिए पाबंद भी किया गया। जो जमीन अलॉट हुई वहां टेनिस कोर्ट बन रहे हैं। इस बारे में सरकार को कदम उठाने चाहिए।
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