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जिला अस्पतालों में काम कर रहे डॉक्टर पढ़ाएंगे नए मेडिकल कॉलेजों में

locationजयपुरPublished: Mar 07, 2018 03:12:57 pm

Submitted by:

Vikas Jain

– एमसीआई की अधिसूचना का हवाला दे बनाए पदनामित प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर

जयपुर। प्रदेश में सात नए सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए राज्य सरकार को नए नए रास्ते तलाश करने पड़ रहे हैं। सातों कॉलेजों के लिए गठित राजस्थान मेडिकल एज्यूकेशन सोसायटी ने एक आदेश जारी कर इन कॉलेजों के लिए जिला अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों को फैकल्टी बना दिया गया है। इसके लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया एमसीआई की एक अधिसूचना का सहारा लिया गया है।
जिसमे यह कहा गया है कि 300 पलंग क्षमता वाले जिला अस्पतालों में कार्यरत विषय विशेषज्ञों को उनके निर्धारित अनुभव के आधार पर फेकल्टी बनाया जा सकता है। लेकिन राजस्थान के लिहाज से यह सवाल खड़ा हो रहा है कि नए नए कॉलेजों में ऐसे विषय विशेषज्ञ अध्ययन कराएंगे, जिन्हें अध्यापन का अनुभव ना के बराबर है।इन चिकित्सकों को उसी जिले में खुल रहे मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नियुक्ति दी गई है। उनके पद नाम के स मुख पदनामित प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर भी लगा दिया गया है। फिलहाल ऐसे ४९ डॉक्टरों की सूची जारी की गई है। ये चिकित्सक अभी तक चिकित्सा विभाग के अधीन थे। लेकिन अब इन्हें मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में नियुक्ति दी गई है। इनकी नियुक्ति प्रतिनियुक्ति पर की गई है।
 इस तरह लगाया-

ारतपुर के जिला अस्पताल में कार्यरत एक डॉक्टर को प्रोफेसर और 10 डॉक्टरों को ारतपुर में खुलने वाले मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए एसोसिएट प्रोफेसर बनाया गया है- भीलवाड़ा के जिला अस्पताल में कार्यरत आठ डॉक्टरों को प्रोफेसर और दो डॉक्टरों को एसोसिएट प्रोफेसर बनाया गया है- चूरू जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेज में 7 को प्रोफेसर और 4 को एसोसिएट प्रोफेसर बनाया गया है- डूंगरपुर जिला अस्पताल में कार्यरत 2 डॉक्टरों को प्रोफेसर और 2 को एसोसिएट प्रोफेसर बनाया गया है- पाली के जिला अस्पताला में कार्यरत 4 डॉक्टरों को प्रोफेसर और 1 को एसोसिएट प्रोफेसर बनाया गया है- बाड़मेर के जिला अस्पताल में कार्यरत 2 डॉक्टरों को प्रोफेसर और 6 को एसोसिएट प्रोफेसर बनाया गया है
अधिसूचना यह- प्रोफेसर के समकक्ष मानने के लिए परामर्शदाता या विशेषज्ञ रूप में न्यूनतम 300 बिस्तरों वाले किसी राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के अधीन गैर शिक्षण जिला अस्पताल में संबंधित विशेषज्ञता में कार्यरत अपेक्षित अनुभव जर्नल में चार अनुसंधान प्रकाशनों के साथ अनुभव 18 वर्ष से अधिक होगा। किसी मेडिकल कॉलेज में पदभार ग्रहण करने के बाद इनका पदनामित प्रोफेसर कहा जाएगा पदनामित प्रोफेसर के तौर पर तीन साल कार्य करने पर उसे प्रोफेसर कहा जाएगा- एसोसिएट के समकक्ष मानने के लिए विशेषज्ञ के रूप में न्यूनतम 300 बिस्तरों वाले किसी राज्य व केन्द्र के अधीन गैर शिक्षण जिला अस्पताल में संबंधित विषय विशेषज्ञता और जर्नल में दो अनुसंधान प्रकाशनों के साथ 10 वर्ष का अनुभव आवश्यक।
किसी भी मेडिकल कॉलेज में पदभार ग्रहण करने के बाद उस विशेषज्ञ को एसोसिएट प्रोफेसर कहा जाएगासवाल इसलिए हुए खड़े- जिन अस्पताालों से अधिसूचना के आधार पर लगाया गया है, वे क्या 18 या 10 साल से 300 पलंग क्षमता के ही हैं – जिन डॉक्टरों को फेकल्टी बनाया गया है, क्या वे सभी 18 या 10 साल से उसी 300 पलंग क्षमता वाले जिला अस्पताल या अन्य किसी इसी समकक्ष अस्पताल में ही कार्यरत हैं- क्या राज्य सरकार के पास 300 पलंग क्षमता वाले अस्पतालों में लगातार 18 साल या 10 साल से कार्यरत डॉक्टर उपलब्ध नहीं है- आदेश में कहा गया है कि इन्हें ज्वाइन कराने से पहले संबंधित कॉलेजों के प्राचार्य इनकी योग्यता की जांच करेंगे, देखने वाली बात यह होगी कि उस समय इन बातों का ध्यान रखा जाता है या नहीं
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