ये हैं उदाहरण : – इन मरीजों की दवा ही बदल दी स्थान : कांवटिया अस्पताल स्थित दुकान मरीज का नाम : ज्ञानसिंह राजपूत – तारीख : 01 दिसम्बर 2018
– पीपीओ नम्बर : 1052808
– बिल नम्बर : 10206
– डॉक्टर की पर्ची पर लिखी दवा : aerocort forte r/c (30 गोली 70.07 रुपए)
– मरीज को दी गई दवा : maxiflo forte r/c (30 गोली 378.40 रुपए)
– पीपीओ नम्बर : 1052808
– बिल नम्बर : 10206
– डॉक्टर की पर्ची पर लिखी दवा : aerocort forte r/c (30 गोली 70.07 रुपए)
– मरीज को दी गई दवा : maxiflo forte r/c (30 गोली 378.40 रुपए)
मरीज का नाम : मोहन – तारीख : 01 दिसम्बर 2018
– पीपीओ नम्बर : 37416
– बिल नम्बर : 10220
– डॉक्टर की पर्ची पर लिखी दवा : supradyan (1 गोली 1.86 रुपए)
– मरीज को दी गई दवा : matilda forte (1 गोली 18.09 रुपए)
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– पीपीओ नम्बर : 37416
– बिल नम्बर : 10220
– डॉक्टर की पर्ची पर लिखी दवा : supradyan (1 गोली 1.86 रुपए)
– मरीज को दी गई दवा : matilda forte (1 गोली 18.09 रुपए)
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इन मरीजों को ब्रांड बदलकर दी दवा स्थान : जवाहरनगर स्थित उपहार मेडिकल स्टोर मरीज का नाम : विष्णुदत्त शर्मा – तारीख : 03 नवम्बर 2018
– पीपीओ नम्बर : 183876
– बिल नम्बर : 1728
– डॉक्टर की पर्ची पर लिखी दवा : becasule-Z (1 गोली 1.69 रुपए)
मरीज को दी गई दवा : vitafar-4G (1 गोली 14.60 रुपए)
स्थान : दुकान नम्बर 6, सवाई मानसिंह अस्पताल मरीज का नाम : नानूराम – तारीख : 23 फरवरी 2019
– पीपीओ नम्बर : 179493
– बिल नम्बर : 20710
– डॉक्टर ने लिखी दवा : rabisone l (1 गोली 12 रुपए)
- मरीज को दी गई दवा : reward-lsr (1 गोली 14.94 रुपए)
मरीज का नाम : छोटेलाल मीना
– तारीख : 23 फरवरी 2019
– पीपीओ नम्बर : 1050503
– बिल नम्बर : 20743
– डॉक्टर ने लिखी दवा : glador m1 forte (1 गोली 8.76 रुपए)
– मरीज को दी गई दवा : glimaday fort 1mg (1 गोली 11.76 रुपए)
– पीपीओ नम्बर : 1050503
– बिल नम्बर : 20743
– डॉक्टर ने लिखी दवा : glador m1 forte (1 गोली 8.76 रुपए)
– मरीज को दी गई दवा : glimaday fort 1mg (1 गोली 11.76 रुपए)
यों बेधड़क चल रहा खेल सरकारी दुकानों पर फर्मासिस्ट अनुबंध पर तैनात हैं। बिक्री बढ़ाने के लिए दवा कम्पनियां कमीशन देती हैं। इस खेल में ज्यादातर प्रोपेगेंडा (पीजी) पर जोर दिया जाता है। अक्सर महंगी दवाएं पीजी रैकेट का हिस्सा होती हैं। ये कम्पनियां दवा की कीमत लागत से कहीं अधिक रखती हैं। सरकारी दवा दुकानों पर ज्यादातर पेंशनर ही दवाएं लेते हैं और गड़बड़ी अक्सर पेंशनर्स के मामलों में की जाती है। जानकारी के अभाव में पेंशनर विरोध नहीं कर पाते। पेंशनरों की दवा का पुनर्भुगतान सरकार करती है। ऐसे में अधिक कीमत पर भी पेंंशनर ज्यादा ध्यान नहीं देते। कई मामलों में फर्मासिस्ट दवा अनुपलब्ध बता देता है और एनओसी से बचने के लिए पेंशनर महंगी दवा लेने के लिए तैयार हो जाते हैं। एनओसी लेकर बाजार से खरीदी गई दवा का भी सरकार पेंशनरों को पुनर्भरण करती है लेकिन इस प्रक्रिया में समय लगता है।
जिम्मेदारों ने यों बांधी आंखों पर पट्टी नियमानुसार फर्मासिस्ट डॉक्टर की पर्ची में लिखी दवा बदल नहीं सकता। इस पर नजर रखने के लिए ट्रेजरी जाने वाले बिल में डॉक्टर की पर्ची की प्रति भी जाती है। ट्रेजरी में बड़ी संख्या में बिल जाते हैं लेकिन कोई जांचता नहीं है। इसी का फायदा उठाया जा रहा है। वर्षों से चल रहे इस खेल से कॉनफैड के साथ औषधि नियंत्रक अधिकारी भी वाकिफ हैं। इन विभागों में लिखित शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही। कॉनफैड सहित औषधि नियंत्रक अधिकारी इस खेल से वाकिफ हैं लेकिन लिखित शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं की जा रही है।
सरकारी दुकानों का यह है नेटवर्क राज्य उपभोक्ता संघ की 60 दवा दुकानें संचालित हैं। सर्वाधिक दुकानें सवाई मानसिंह अस्पताल में हैं। लगभग सभी सैटेलाइट अस्पतालों में भी ये दुकानें हैं और अब निजी अस्पतालों में खोलने का प्रयास किया जा रहा है। दुकान पर फार्मासिस्ट विभाग में पंजीकृत एनजीओ की ओर से अनुबंध के जरिए तैनात किए जाते हैं।
यह है स्थिति जयपुर शहर में – 60 दुकानें राज्य उपभोक्ता संघ (कॉनफैड) की उपहार मेडिकल स्टोर के नाम से
– 57 दुकानें एलोपैथी
– 03 दुकानें आयर्वेदिक
– 62 फार्मासिस्ट
– 14 स्थाई फार्मासिस्ट कॉनफैड के
– 48 सेवा प्रदाता एनजीओ के माध्यम से अनुबंधित
– 04 एनजीओ हैं रजिस्टर्ड
– 57 दुकानें एलोपैथी
– 03 दुकानें आयर्वेदिक
– 62 फार्मासिस्ट
– 14 स्थाई फार्मासिस्ट कॉनफैड के
– 48 सेवा प्रदाता एनजीओ के माध्यम से अनुबंधित
– 04 एनजीओ हैं रजिस्टर्ड