script10 हजार रुपए मिलती थी कर्मचारी को सैलेरी, 40 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन पर रख रखे थे पांच नौकर | Government drug stores pharmacist changing brand and salt of medicine | Patrika News

10 हजार रुपए मिलती थी कर्मचारी को सैलेरी, 40 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन पर रख रखे थे पांच नौकर

locationजयपुरPublished: May 21, 2019 08:15:58 pm

राज्य उपभोक्ता संघ की दवा की दुकान का मामला

jaipur

10 हजार रुपए मिलती थी कर्मचारी को सैलेरी, 40 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन पर रख रखे थे पांच नौकर

ओमप्रकाश शर्मा / जयपुर। सरकार आपको 10 हजार रुपए मासिक पगार दे, तो क्या आप काम में अपना हाथ बंटाने के लिए 40 हजार रुपए में 4-5 लोगों को नौकरी पर रख सकते हैं? जाहिर है नहीं, लेकिन राज्य उपभोक्ता संघ (कॉनफेड) की दवा दुकानों पर कमीशन के बूते यह कमाल हो रहा है। सरकार से 10 हजार रुपए पगार पाने वाले फार्मासिस्ट 3 से 5 लोगों को हैल्पर के रूप में नौकरी पर रखकर 5 से 10 हजार रुपए मासिक दे रहे हैं। वर्षों से यह खेल चल रहा है लेकिन सरकार मौन है।
कॉनफेड ने फर्मासिस्ट तब भर्ती किए थे, जब सरकारी दवा दुकानें शुरू की गई थीं। इसके बाद कभी भी फर्मासिस्ट भर्ती नहीं किए। इस बीच अधिकतर फार्मासिस्ट सेवानिवृत्त हो चुके हैं। अब केवल 14 स्थाई फार्मासिस्ट हैं। अन्य दुकानों पर अनुबंधित फार्मासिस्ट लगाए हुए हैं। विभाग के पास 48 फार्मासिस्ट अनुबंध के रूप में तैनात हैं। एक दुकान पर एक ही फार्मासिस्ट तैनात रहता है जबकि अस्पताल के आउटडोर के समय ग्राहकों की भीड़ के मद्देनजर 5-6 कर्मचारियों की जरूरत पड़ती है। ऐसे में अनुबंधित हों या स्थाई फार्मासिस्ट, सभी ने आधिकारिक कर्मचारियों की बजाय अपने स्तर पर हैल्पर रखे हुए हैं।

जिम्मेदारों की अनदेखी से चल रहा खेल
सरकार की ओर से तैनात फर्मासिस्ट को 10 हजार रुपए वेतन मिलता है। लेकिन डॉक्टर की लिखी दवा की बजाय प्रोपेगंडा (पीजी) कंपनियां की दवा देकर मोटा कमीशन कमाते हैं। इस कमीशन में हिस्सा बांटना नहीं चाहते इसलिए सरकार से अधिकृत फार्मासिस्ट मांगने की बजाय कमीशन में से पैसे खर्च कर 3 से 5 लोगों को अपने स्तर पर काम पर रख रहे हैं। विभाग के अधिकारियों ने रोक लगाने की बजाय इन ‘अतिरिक्तÓ कर्मचारियों का नामकरण हैल्पर के रूप में कर दिया है।

सिफारिशें तक होती हैं

दवा जैसी दुकान पर इन हैल्परों की योग्यता तय करने का कोई मापदंड भी नहीं है। फार्मासिस्ट अपनी सुविधा के अनुसार 5 से 10 हजार में हैल्पर रख रहे हैं। अधिक बिक्री वाली दुकानों पर तैनाती के लिए विभाग के अधिकारियों से मंत्री तक से सिफारिश कराई जाती है। कुछ दिन पहले जयपुरिया अस्पताल में ड्रग विभाग की कार्रवाई के बाद दुकान के हैल्पर की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। अब इस दुकान पर तैनाती के लिए कई फार्मासिस्ट सिफारिश लगाने में जुटे हैं।

ड्रग विभाग ने पकड़ा हैल्पर, फिर भी विभाग मौन
ड्रग विभाग ने कुछ दिन पहले जयपुरिया अस्पताल स्थित दुकान पर छापा मारा था। वहां अजीत नामक युवक मरीजों को दवा देते मिला। पड़ताल में खुलासा हुआ कि इस नाम का कर्मचारी तो वहां नियुक्त ही नहीं था। इसके साथ ही अन्य गड़बडिय़ां मिलने पर ड्रग विभाग ने दुकान का लाइसेंस 15 दिन के लिए निरस्त कर दिया था। इसके बावजूद विभाग हरकत में नहीं आया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो