प्रदेश की 25 सीटों की बात करें तो यहां करीब 35 हजार 120 वोट विभिन्न तकनीकी खामियों की वजह से रिजेक्ट हो गए। सर्विस वोटरों ने पोस्टल बैलेट और ईटीपीबी के माध्यम से मतदान करते समय कार्मिकों ने छोटी-छोटी तकनीकी गलतियां की, जिनकी वजह से उनका मत निरस्त करना पड़ा। ये हालात तो तब बने जब चुनावों से पहले ट्रेंनिग के दौरान कर्मचारियों को बेलेट मत डालने के बारे में समझाया गया था।
यहां तक करोड़ों रुपए स्वीप कार्यक्रम के तहत लोगों में जागरूकता के लिए चुनाव आयोग ने खर्च कर दिए। प्रदेश में करीब 137388 सर्विस वोटर थे। नर्वाचन विभाग के आंकडों पर गौर करें तो सबसे ज्यादा झुंझुनूं लोकसभा सीट पर 4 हजार 475 डाकमत पत्र खारिज हुए, वहीं सबसे कम डाकमत पत्र जालौर लोकसभा सीट पर सिर्फ 8 डाकमत पत्र खारिज हुए।
किस लोकसभा सीट पर कितने वोट हुए खारिज गंगानगर में 1320, बीकानेर में 902, चूरू में 2250, झुंझुनूं में 4475, सीकर में 3692, जयपुर ग्रामीण में 2974, जयपुर शहर में 102, अलवर में 2803, भरतपुर में 2174, करौली-धौलपुर में 1086, दौसा में 1244, टोंक-सवाईमाधोपुर में 1009, अजमेर में 1032, नागौर में 1649, पाली में 1716, जोधपुर में 1690, बाडमेर में 604, जालोर में 8, उदयपुर में 899, बांसवाडा में 438, चित्तौडगढ में 506, राजसमंद में 1003, भीलवाडा में 498, कोटा में 894, बारां-झालावाड में 149
क्या है डाक मत पत्र
दरअसल डाक मतदान का चलन देश में काफी समय से चल रहा है। इस व्यवस्था को उन मतदाताओं के लिए प्रयोग में लाया जाता है जो विभिन्न कारणों से अपने क्षेत्र में वोट डालने के लिए प्रत्यक्ष रूप में उपस्थित नहीं हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग इन मतदाताओं को डाक मतदान के माध्यम से वोट डालने की सुविधा देता है। इस व्यवस्था का उपयोग चुनाव ड्यूटी में सेवा देने वाले अधिकारी, भारत सरकार के सशस्त्र बलों के कर्मचारी, देश के बाहर कार्यरत सरकारी अधिकारी, सेना अधिनियम 1950 के तहत आने वाले सभी बल के द्वारा किया जाता है।