सरकारी सेवाओं में तेजी से घटते रोजगार के अवसरों को देखते हुए चार वर्ष पूर्व प्रदेश सहित देश भर के राजकीय माध्यमिक उच्च माध्यमिक विद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा शुरू की थी। इसमें कक्षा नौ से 12वीं तक के विद्यार्थियों को अतिरिक्त विषय दिलाते हुए विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षित प्रशिक्षकों को तैनात किया। वर्तमान में प्रदेश के 905 स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा संचालित है। व्यवसायिक शिक्षा अंतर्गत विद्यालयों में लाखों रुपए खर्च कर ट्रेड वार सामग्री क्रय की गई। प्रशिक्षकों की सेवा समाप्ति के आदेशों से इन प्रयोगशालाओं की उपयोगिता पर भी सवाल खड़े हो गए थे। नए आदेशों से प्रदेश के दो हजार युवाओं को एक बार फिर रोजगार मिला है।
अटके मानदेय मिलने की भी उम्मीद
विद्यालयों में ट्रेड संचालन के लिए हर वर्ष 50 हजार का बजट दिया जाता था। पर, गत वित्तीय वर्ष का बजट अब तक नहीं मिला है। ऐसे में हर स्कूल में दो टे्रड के माध्यम से एक-एक लाख रुपए की उधारी है। साथ ही व्यावसायिक प्रशिक्षकों का एक से डेढ़ वर्ष से मानदेय भी शेष है। पुराने प्रशिक्षकों को वापस सेवा में लेने पर उनकी उधारी उतरने की भी आस जगी है।