जयपुर

सरकार ने अपनी ही संस्थाओं को कैंसर कर दिया

— 4 जज खड़े न होते तो सुप्रीम कोर्ट का भी सीबीआइ जैसा हाल होता — पिछले चुनाव में केन्द्र में भाजपा सरकार बनवाने को काम किया वह गलती थी
— पूर्व केन्द्रीय मंत्री और वरिष्ठ पत्रकार अरुण शौरी ने दिया व्याख्यान

जयपुरNov 11, 2018 / 11:05 pm

Shailendra Agarwal

पूर्व केन्द्रीय मंत्री, लेखक, विचारक और वरिष्ठ पत्रकार अरूण शौरी ने केन्द्र सरकार पर फिर हमला बोला। उन्होंने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मौजूदा सरकार की कार्यप्रणाली से संस्थाएं संकट में आ गई हैं, उनको कैंसर हो गया है। अगर सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की कार्यप्रणाली को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 4 जज खड़े न होते तो कोर्ट का भी सीबीआइ जैसा हश्र होता। चुनावी फायदे के लिए उत्तर प्रदेश को कश्मीर बना दिया, अब फिर वहीं राम मंदिर के नाम पर भावनाओं से खेला जा रहा है। शौरी ने आहृवान किया कि विपक्ष अपने स्वार्थों को भुलाकर देश बचाने के लिए एकजुट हो।
शौरी ने रविवार को यहां देश की समसामायिक स्थिति पर व्याख्यान दिया। जयपुर परिसंवाद संस्था ने पिंक सिटी प्रेस क्लब के सहयोग से इस कार्यक्रम का आयोजन किया। उन्होंने पिछले आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का साथ देने को अपनी भूल बताकर पश्चाताप जाहिर किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता सीटों का आंकलन कर अपना फायदे का हिसाब लगा रहे हैं, वे इसके बजाय त्याग करें। आज सत्ता के लिए झूठ बोला जा रहा है। विपक्ष के नेता यह नहीं समझें कि केवल देश खतरे में है, हर व्यक्ति खतरे में है। उन्होंने कहा कि केन्द्र में 30 प्रतिशत वोट से सरकार बनी हुई है, जब इंदिरा गांधी का विकल्प चरण सिंह व मोरारजी देसाई बन सकते हैं और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार सामने विकल्प नहीं होने के बावजूद हार सकती है तो अब विकल्प क्यों नहीं हो सकता? वोट का बंटवारा बर्दाश्त नहीं हो सकता। जनता जब सरकार बदलती है तो उसे विकल्प तलाशना नहीं, बल्कि चपत लगाना कहते हैं। अब विपक्ष की बारी है कि वह जनता को बताए सुप्रीम कोर्ट के फैसले कैसे लागू होंगे ओर सीबीआइ निदेशक कैसे लगाया जाएगा?
सीबीआइ से डर लग रहा है
शौरी ने सीबीआइ का जिक्र करते हुए कहा कि पहले सीबीआइ से मायावती को डराया, अब सरकार वाले खुद ही उससे डर रहे हैं। मौजूदा हालात का हवाला देते हुए कहा कि अब गलती की तो पांच साल बाद मीडिया का क्या होगा, हालांकि सुप्रीम कोर्ट पर लोगों को खोया हुआ विश्वास फिर लौट रहा है। देश में जानबूझकर माहौल खराब किया जा रहा है। सत्ता के लिए ही सबरीमाला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया जा रहा है। सीबीआइ में गुजरात से अपना आदमी लाया गया और झगड़ा बताकर सीबीआइ को संकट में डाल दिया। उनके अनुसार सीबीआइ राफेल डील पर जांच कर रही थी। भ्रष्टाचार को लेकर कहा कि मंत्री और नौकरशाह मिलकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं।
जनधन खातों में आए कालेधन की जांच क्यों नहीं
शौरी ने नोटबंदी के बाद जनधन खातों में जमा हुए धन को लेकर कहा कि इन खातों में 42 हजार करोड़ रुपए कालाधन कहां से आया, इसकी जांच होती तो सब पता चल जाता यह पैसा किसका था और वे कौन लोग थे? भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के सहकारी बैंक से नए नोट लेने के साथ ही नोट बदलवाने की सुविधा ही बंद कर दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया का मुंह बंद करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सोहराबुद्दीन मामले में कितने गवाह पक्षद्रोही हुए, लेकिन किसी ने यह नहीं पूछा कि क्या इन गवाहों पर मुकदमा चलाया गया? व्यापम घोटाले में कितने लोग मारे गए, लेकिन किसी ने पूछा ही नहीं। मॉब लींचिंग का फायदे के लिए इस्तेमाल हो रहा है। उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले कैराना में हिंसा और लव जिहाद मुद्दे बनाए गए, अब वे गायब हैं और राम मंदिर को मुद्दा बनाया जा रहा है। विश्वविद्यालयों में अपने आदमी लगाने हैं, इसलिए काबिल नहीं हैं तो भी कुलपति बनाए जा रहे हैं। विशेषज्ञों को पसंद नहीं किया जा रहा है। केन्द्र सरकार के किसी को कुचलने को राष्ट्रहित में बलिदान बताकर दबा दिया जाता है। यह सब जनता की सरकार पर निगरानी नहीं होने के कारण हो रहा है।
ई वी एम पर शक, फिर भी पित्रोदा आगे क्यों नहीं
शौरी ने ई वी एम पर शक जाहिर करते हुए कहा कि ई वी एम में गडबडी की शिकायतें हैं, इसके बावजूद आइ टी विशेषज्ञ कुछ नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस के पास तो सैम पित्रोदा जैसे लोग हैं, फिर ई वी एम को लेकर शिकायतों पर काम क्यों नहीं हो रहा है। उन्होंने जस्टिस लोया की संदिग्ध मौत का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि न्यायिक जवाबदेही पर विचार होना चाहिए।
संवैधानिक मूल्यों पर हमला
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व महाधिवक्ता जी एस बापना ने कहा कि संवैधानिक मूल्यों पर हमला हो रहा है। कार्यक्रम संयोजक रमेश दाधीच ने जयपुर परिसंवाद संस्था की जानकारी दी और हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वी एस दवे ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री और चिंतक अरुण शौरी का स्वागत किया।
पत्रिका अकेला खड़ा था, तब साथ आना चाहिए था — शौरी
वरिष्ठ पत्रकार अरुण शौरी ने रविवार को यहां पिंक सिटी प्रेस क्लब में पत्रकारों पर हमले को लेकर कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी पर सुप्रीम कोर्ट कई फैसले दे चुका, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि स्थानीय गुंडा ही धमकी दे जाता है। पत्रकारों पर हमले के 142 मुकदमे बताए जा रहे हैं लेकिन राजस्थान में ही देख लो एक बड़े अखबार (पत्रिका नहीं)ने इसको लेकर कितनी खबरें छापी। राज्य सरकार ने राजस्थान पत्रिका के विज्ञापन बंद किए, तब सबको साथ आना चाहिए था। आप ही देख लें, कितनी जगह खबर छापी गई? सब अपना—अपना फायदा देख रहे थे। मीडिया के लिए खतरों को लेकर कहा कि जब चीन में कोई परेशानी नहीं है, तो उससे हमें सीखना चाहिए। उन्होंने मौजूदा सरकार के प्रति विरोध जाहिर करते हुए कहा कि हार अगली सरकार को सबक सिखाती है। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का हवाला देकर कहा कि वह आर्थिक विकास को लेकर ही तो बात कर रहे हैं। उन्होंने राममंदिर को लेकर कहा कि हिन्दुओं की भावनाएं भडकाने के लिए चुनावी शिगुफा छोड़ा जा रहा है। भ्रष्टाचार को लेकर कहा कि सीएजी की रिपोर्ट हैं, पर मीडिया उन पर कोई पड़ताल ही नहीं करता है। भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में संशोधन को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि अभियोजन स्वीकृति से पहले जांच पर पाबंदी का मुद्दा उठाया जा रहा है, लेकिन मीडिया उसे मुद्दा ही नहीं बना रहा है।

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