इन जमीनों पर कॉलोनी बस गई हो या फिर अन्य निर्माण हो गए हों और अब इन्हें हटाना संभव नहीं है। स्वायत्त शासन विभाग ने सभी निकायों के आयुक्त, अधिशासी अधिकारियों को निर्देश भी दे दिए हैं। बताया जा रहा है कि प्रदेश में ऐसी जमीन पर 2 से ढाई लाख आवास, दुकान निर्मित हैं। गौरतलब है कि प्रशासन शहरों के संग अभियान में जारी पट्टों की संख्या कम होने के कारण मुख्यमंत्री नाराजगी जता चुके हैं।
पहले आए बैकफुट पर, इसलिए अब नीति लाने पर काम
पहले आए बैकफुट पर, इसलिए अब नीति लाने पर काम
1. रोक लगानी पड़ी : सरकार पहले अवाप्तशुदा जमीन पर बसी कॉलोनियों में पट्टे बांटने की तैयार की थी। इसके लिए पिछले वर्ष 28 सितम्बर को आदेश जारी किया गया। इनमें विशेष रूप से हॉस्टल का भी जिक्र किया गया। लेकिन कोर्ट से फटकार पड़ने के डर से सरकार बैकफुट पर आ गई और अपने ही आदेश पर रोक लगानी पड़ी।
2. कानून के दायरे में लाना : अफसरों का दावा है कि कोर्ट ने वृहद जनहित में फैसले लेने की छूट दी हुई है। यह मामला भी जनहित में ही है। इसके लिए अलग से नियमन नीति लाते हैं तो इसे चुनौती देना आसान नहीं होगा।
इस तरह कर रहे तैयारी
-आवासन मण्डल, रीको, अन्य विभागों एवं नगरीय निकायों की ओर से ऐसी अवाप्तशुदा भूमि, जहां सम्पूर्ण या आंशिक रूप से बसावट हो चुकी हो। अवाप्ति का मूल उद्देश्य अब पूरा नहीं हो सकता हो।
-ऐसी कॉलोनियों में मौके की स्थिति के अनुसार और मास्टर प्लान, जोनल डवलपमेंट प्लान के अनुसार पट्टे दिए जा सकें।
-कॉलोनियां सृजित हो चुकी हों या भूखंडधारियों का रिकॉर्ड व लेआउट प्लान संबंधित निकाय के पास पहले ही उपलब्ध हो या भूमि पर भूखंडधारियों का भौतिक कब्जा एक निर्धारित समय से पहले से हो।
इस तरह कर रहे तैयारी
-आवासन मण्डल, रीको, अन्य विभागों एवं नगरीय निकायों की ओर से ऐसी अवाप्तशुदा भूमि, जहां सम्पूर्ण या आंशिक रूप से बसावट हो चुकी हो। अवाप्ति का मूल उद्देश्य अब पूरा नहीं हो सकता हो।
-ऐसी कॉलोनियों में मौके की स्थिति के अनुसार और मास्टर प्लान, जोनल डवलपमेंट प्लान के अनुसार पट्टे दिए जा सकें।
-कॉलोनियां सृजित हो चुकी हों या भूखंडधारियों का रिकॉर्ड व लेआउट प्लान संबंधित निकाय के पास पहले ही उपलब्ध हो या भूमि पर भूखंडधारियों का भौतिक कब्जा एक निर्धारित समय से पहले से हो।
रीको दिखा चुका है आईना
रीको की अवाप्तशुदा जमीन पर भी प्रदेश में ऐसी कॉलोनियां बसी हैं। सरकार ने रीको से भी इनकी नियमन के लिए एनओसी मांगी थी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। उन्होंने इसके पीछे हाईकोर्ट के आदेश का हवाला दिया, जिसमें संबंधित मामलों में अवाप्तशुदा जमीन पर अवैध रूप से बसी कॉलोनी को नियमित नहीं करने के आदेश हैं।
रीको की अवाप्तशुदा जमीन पर भी प्रदेश में ऐसी कॉलोनियां बसी हैं। सरकार ने रीको से भी इनकी नियमन के लिए एनओसी मांगी थी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। उन्होंने इसके पीछे हाईकोर्ट के आदेश का हवाला दिया, जिसमें संबंधित मामलों में अवाप्तशुदा जमीन पर अवैध रूप से बसी कॉलोनी को नियमित नहीं करने के आदेश हैं।