scriptACB की कार्रवाई में सरकार खुद ही बन गई संरक्षणदाता: राठौड़ | Government itself became protector in ACB's action: Rathor | Patrika News

ACB की कार्रवाई में सरकार खुद ही बन गई संरक्षणदाता: राठौड़

locationजयपुरPublished: May 28, 2022 04:15:58 pm

Submitted by:

rahul

उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार अपने शासन के लगभग साढ़े 3 वर्ष बीतने के बाद केन्द्र की भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 को लेकर जारी एसओपी को अब लागू का रही है।

jaipur

राजेन्द्र राठौड़

जयपुर। उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार अपने शासन के लगभग साढ़े 3 वर्ष बीतने के बाद केन्द्र की भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 को लेकर जारी एसओपी को अब लागू का रही है। उन्होंने आश्चर्य जाहिर करते हुए कहा कि अब सरकार राज्य में भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध लगातार की जा रही एसीबी की कार्रवाई में संरक्षणदाता की भूमिका में आ गई है।
राठौड़ ने एक बयान में कहा कि केन्द्र सरकार ने लगभग 4 वर्ष पूर्व 26 जुलाई 2018 को भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 के अंतर्गत एसओपी जारी की थी। अपने 42 माह के शासन के दौरान राज्य सरकार द्वारा इसे प्रदेश में लागू नहीं करने का क्या कारण रहा, यह समझ से परे है। जबकि इस दौरान राज्य में भ्रष्टाचार के मामले चरम पर पहुंच गए और एसीबी ने आईएएस, आईपीएस, आरएएस, आरपीएस सहित रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़े दर्जनों अधिकारियों की अभियोजन स्वीकृति जारी नहीं की है जो आज तक लंबित है।
राठौड़ ने कहा कि सरकार के स्तर पर भ्रष्टाचार के 381 मामलों में अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने से एसीबी की ओर से पकड़े गये दोषी अधिकारियों को सजा नहीं मिल पा रही है और वे फील्ड पोस्टिंग पाकर भ्रष्टाचार का अपना धंधा फिर से शुरु कर रहे हैं। वहीं प्रदेश में वर्तमान में पद के दुरुपयोग के 273 मामलों में भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध जांच व कार्रवाई के लिए सरकार से अनुमति मांगी है जिसमें से अब मात्र करीब 15 मामलों में ही सरकार ने जांच व कार्रवाई करने की स्वीकृति दी है जो सरकार द्वारा भ्रष्टाचार को संरक्षण देने की नीति को उजागर करता है।
राठौड़ ने कहा कि केन्द्र सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा 17 सी में भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की संपत्ति को जब्त करने का सख्त प्रावधान किया गया है। सरकार जहां एक ओर इसी अधिनियम की धारा 17ए के अंतर्गत भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध जांच से पहले सक्षम अधिकारियों से अनुमति लेने के प्रावधानों को प्रदेश में लागू कर रही है वहीं दूसरी ओर भ्रष्ट अधिकारियों की संपत्ति को जब्त करने के प्रयासों से बच रही है। 42 माह पुरानी सरकार ने कई दर्जन मामलों में अधिकारियों की अकूत संपत्तियां प्रमाणित होने के बाद भी सरकार ने किसी भी भ्रष्टाचारी की संपत्ति जब्त नहीं की है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो