आरोपियों को बचाने के लिए न तो उनकी शिनाख्त परेड कराई गई और न ही एफएसएल की रिपोर्ट मंगाई गई बस चालान पेश कर दिया। हमने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। ऐसे में उम्मीद है कि पहलू खां को जल्द न्याय मिलेगा। बुधवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने पहलू खां प्रकरण में मुकदमें रद्द किए है।
सीएम गहलोत ने गुरूवार को दिल्ली में मीडिया से बातचीत में कहा कि आज पहलू खां मॉब लिचिंग का प्रतीक बन गया है। जब-जब भी देश में मॉब लिचिंग की घटनाएं होंगी, तब तब पहलू खां सबको याद आएगा। न्याय पालिका, नौकरशाह और पुलिस सबको याद आएगा। राजस्थान सरकार की ड्यूटी है पहलू खां के परिवार को न्याय मिले और दोषियों को सजा मिले।
गहलोत ने पुलिस कार्य प्रणाली पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि पुलिस ने भी जान बूझकर दोषियों को बचाने के लिए काम किया है। इस मामले में एसआईटी अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है। एसआईटी की रिपोर्ट में दोषियों को बचाने वाले पुलिसकर्मियों पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गहलोत ने कहा कि मॉब लिचिंग और ऑनर किलिंग पर कानून बनाने वाला राजस्थान पहला राज्य है लेकिन दोनों ही फाइलें केन्द्रीय गृह मंत्रालय में अटका रखी है। क्या कारण है कि फाइल को अटका रखा है? अभी तक फाइल राष्ट्रपति तक नहीं पहुंची है। इसका कारण क्या है यह जवाब केंद्र सरकार और गृह मंत्री अमित शाह को देना चाहिए।
कोर्ट का पहला सही
गहलोत ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला सही है। तत्कालीन सरकार ने पहलू खां को मारने वाले आरोपियों को सजा देने की बजाए आरोपियों को बचाने का काम किया। पहलू खां और उसके बेटों पर गौ तस्करी के झूठे मुकदमे दर्ज कराए, जिससे आरोपी बच जाए। हमारी सरकार आते ही पुलिस ने शड़यंत्र के तहत चुपचाप कोर्ट में चालान पेश कर दिया, जिस पर बुधवार को हाईकोर्ट ने पुलिस की एफआईआर को ही रद्द करते हुए इसे शर्मनाक बताया।