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Guava Cultivation: सरकारी शिक्षक को भायी ताइवानी अमरूद की खेती

locationजयपुरPublished: Oct 18, 2019 07:47:42 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

Guava Cultivation: सरकारी शिक्षक को भायी ताइवानी अमरूद की खेती

सरकारी शिक्षक को भायी ताइवानी अमरूद की खेती

Guava Cultivation: सरकारी शिक्षक को भायी ताइवानी अमरूद की खेती

ताइवान के अमरूद की खेती बूंदी जिले में सफल होती नजर आ रही है। प्रयोग के तौर पर राष्ट्रीय राजमार्ग 148 डी के किनारे बाछोला मोड स्थित फार्महाउस के लगभग दो एकड़ क्षेत्र में लगाए गए ताइवानी अमरूद के पौधे एक साल के भीतर ही फल से लद गए। छोटे पौधों में प्रचुर फल लगने से डालियों के टूटने की आशंका को देखते हुए कुछ फलों को पकने के पूर्व ही तोड़ दिया जा रहा है। प्रयोग के तौर पर लगाए गए ताइवानी अमरूद की सफल होती खेती को व्यवसायिक स्वरूप देने से बूंदी की पहचान अमरूद की खेती के लिए भी स्थापित हो सकती है। पेशे से सरकारी अध्यापक 52 वर्षीय रामनारायण मीणा मूलत: मुण्डली गांव के रहने वाले हैं और वर्तमान में नैनवां शिक्षा विभाग में ब्लॉक समन्वयक पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने उस सूखा पीड़ित क्षेत्र में अपनी जमीन पर खेती करनी शुरू की है। वह ताइवान में होने वाली प्रजाति के अमरूद उगाते हैं, जिसमें पानी कम लगता है और फल का उत्पादन अधिक होता है। उन्होंने 6 गुना 6 फीट के अंतराल में पौधे रोपकर ताइवान अमरूद की सघन खेती की। रामनारायण प्रति सप्ताह होने वाली दो दिन की छुट्टी में अपने फार्महाउस जाते हैं और अपनी खेती की देखभाल करते हैं। दरअसल, पानी की कमी के चलते उन्होंने अपनी ज़मीन को ऐसे ही छोड़ दिया था मगर मित्रों व कृषि विशेषज्ञों की सहायता के लेकर उन्होंने खेती के नए तरीकों का पता लगाना शुरू किया। इसी दौरान उन्हें पता चला कि कम पानी का प्रयोग करके अमरूद की खेती की जा सकती है और अच्छा पैसा कमाया जा सकता है उसके बाद उन्होंने अपनी दो एकड़ जमीन पर अमरुद के चार सौ पौधे रोपे। एक साल की की अवधि में ही उन्हें अच्छी फसल मिली।
सौर ऊर्जा से खेती
रामनारायण खेती में सौर ऊर्जा का प्रयोग करते हैं। पानी की बचत करने के लिए ड्रिप इरिगेशन प्रणाली का प्रयोग करते हैं। अब उनकी फसल को खरीदने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियां उनसे संपर्क कर रही हैं। साथ ही मीणा ने ताइवान बेर के 60, आम के 120, संतरे के 10, चीकू के 10, अनार के 10, नीबू के 10, केरुन्दा के 200 तथा कटहल के 50 पौधे लगाए हैं। उन्होंने बताया कि केरुन्दा के पौधे खेत के चारों ओर लगाए हैं जो भविष्य में हेज अर्थात बाड़ का भी काम करेंगे।
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