जयपुर

समझे सरकार तो बढ़े रोजगार और निवेश भी आए

जालौर, बाड़मेर का जीरा और ईसबगोल, राजसमंद के खनिज उत्पाद और कोटा का लहसुन… । बतौर उदाहरण ये ऐसे उत्पाद हैं, जिनकी पैदावार व उपलब्धता में राजस्थान देश के अग्रणी क्षेत्रों में है।

जयपुरOct 01, 2021 / 04:51 pm

Amit Vajpayee

जालौर, बाड़मेर का जीरा और ईसबगोल, राजसमंद के खनिज उत्पाद और कोटा का लहसुन… । बतौर उदाहरण ये ऐसे उत्पाद हैं, जिनकी पैदावार व उपलब्धता में राजस्थान देश के अग्रणी क्षेत्रों में है।

अमित वाजपेयी/ पंकज चतुर्वेदी/जयपुर। जालौर, बाड़मेर का जीरा और ईसबगोल, राजसमंद के खनिज उत्पाद और कोटा का लहसुन… । बतौर उदाहरण ये ऐसे उत्पाद हैं, जिनकी पैदावार व उपलब्धता में राजस्थान देश के अग्रणी क्षेत्रों में है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर तक इन उत्पादों का डंका बजता है लेकिन इस पैदावार से करोड़ों के कारोबार और राजस्व का फायदा दूसरे राज्य ले जाते हैं। सिरेमिक इंडस्ट्ररी में काम आने वाले फेल्सपार, सिलिका, स्लरी जैसे मिनरल्स हमारे यहां सर्वाधिक हैं लेकिन इनकी टाइल्स के लिए देश-दुनिया में गुजरात का मोरबी प्रख्यात है। हमारा विश्वविख्यात जीरा ऊंझा में जाकर बिकता है।
यानी टैक्स हमें नहीं मिलता। इसका बड़ा कारण है यहां इन उत्पादों की मार्केटिंग और प्रोसेसिंग का लचर ढांचा। अधिक पैदावार वाले इलाकों में प्रोसेसिंग इकाइयां नहीं हैं या सरकार बेचने की व्यवस्था नहीं कर पाई। निवेशकों को सस्ती बिजली, आधारभूत ढांचा और उन्नत संस्थानों की घोषणाएं तो हुई लेकिन जमीन पर नहीं उतरी। ऐसे में हम सिर्फ कच्चे माल के सप्लायर बन कर रह गए। पत्रिका ने पड़ताल की कुछ प्रमुख ऐसे उत्पादों की, जिनमें हमारी ताकत लाजवाब है, लेकिन हम इच्छाशक्ति और येाजना के मोर्चे पर मात खा रहे हैं।
जीरा
जालोर-बाड़मेर जीरा उगाने में देश में अग्रणी हैं। यहां 2 लाख हेक्टेयर में जीरे की पैदावार है। इसे बहुराष्टï्रीय कंपनियां यहां से खरीदती हैं। हमारे पास इसकी प्रोसेसिंग की व्यवस्था नहीं है। यहां के 60त्न किसान अपनी पैदावार गुजरात के ऊंझा में बेचते हैं। वहीं से दुनिया में जीरा बिकता है।
इसबगोल
ईसबगोल की पैदावार में जालोर पूरे एशिया महाद्वीप में अव्वल है। देश की कुल पैदावार का 40त्न हिस्सा जालोर में है। लेकिन समस्या वही। प्रोसेसिंग और विपणन की पर्याप्त व्यवस्था हमारे राज्य में ही नहीं है। अच्छी लागत के लिए किसानों को गुजरात ही जाना पड़ता है।
लहसुन
हर साल 11 लाख हेक्टेयर में लहसुन की पैदावार होने के बावजूद हाड़ौती में प्रसंस्करण इकाइयां नहीं हैं। भंडारण व प्रसंस्करण को सरकार प्रोत्साहन दे तो इसके स्तरीय उत्पाद बनाए जा सकते हैं। कोटा में प्रोसेसिंग यूनिट लग रही है मगर कब शुरू होगी, पता नहीं।
मिनरल्स
गुजरात के मोरबी की टाइल्स दुनिया में प्रसिद्ध हैं लेकिन इनका 70त्नकच्चा माल राजसमंद क्षेत्र से जाता है। बड़े पैमाने पर सफेद मार्बल, फेल्सपार, सिलिका और स्लरी के उत्पादक इस इलाके में सिरेमिक टाइल्स उत्पादन उद्योग नहीं है। प्रोसेसिंग की अधिक लागत के चलते निवेशक नहीं आते।

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