राज्य सरकार का मानना है कि सूचना का अधिकार अधिनियम की मूल भावना को आगे बढ़ाते हुए सूचनाओं का स्वतः प्रवाह सुनिश्चित हो, इसके लिए इस तरह के पोर्टल को तैयार करवाया गया है। इससे अब आमजन को सूचना प्राप्त करने के लिये इस अधिनियम का सहारा नहीं लेना पड़ेगा। इस पोर्टल के माध्यम से शुरूआत में 13 विभागों की 23 विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी अब एक ही क्लिक पर मिल सकेगी। धीरे-धीरे अन्य विभागों की योजनाओं को भी इससे जोड़ा जाएगा। जानकारी के मुताबिक़ सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग पिछले आठ महीने से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था, ताकि सूदूर ग्रामीण इलाकों सहित आमजन को वेब पोर्टल, ईमित्र प्लस और मोबाइल एप के माध्यम से सरकारी विभागों से जुड़े नकद एवं गैर नकद लाभ की योजनाओं की जानकारी व सेवाओं की प्रक्रिया को सार्वजनिक किया जा सके। यह कदम राजस्थान सामाजिक जवाबदेही विधेयक, 2019 के तहत विभागों द्वारा सार्वजनिक रूप से सूचनाओं को पारदर्शी तरीके से उपलब्ध कराने की भावना को प्रबल करेगा। राजस्थान राजकीय कार्यों में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से आमजन को सेवायें प्रदान करने में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है।
यह कहा सीएम और डिप्टी सीएम ने इस मौके पर डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी मौजूद रहे। गहलोत और पायलट ने साथ मिलकर एक बटन दबाया और पोर्टल को लांच किया। सीएम गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार ने सूचना के अधिकार में बदलाव किया है, जनता को इस बदलाव पर शंका है। हम चाहते है कि जनता को सूचना खुद दें ताकि उन्हें सूचना मांगने की जरूरत ही न पड़े। वहीं सचिन पायलट ने कहा कि ऐसे काम के लिए इच्छा शक्ति होनी जरूरी है, अब करोड़ों लोग एक बटन दबाकर सूचना ले सकेंगे। पायलट ने कहा कि सरकार, समाज मिलकर अच्छा काम करना चाहे तो तकनीक की मदद से भेदभाव मिटना संभव है। समारोह में जन सूचना पोर्टल पर बनी एक लघु फ़िल्म दिखाई गई। साथ ही कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का वीडियो मैसेज भी चलाया गया।
देश का पहला राज्य सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 4(2) की मूलभावना पर आधारित है, जो यह कहती है कि स्वप्रेरणा से आमजन को समय-समय पर विभिन्न माध्यमों के द्वारा अधिक से अधिक सूचनाएं उपलब्ध कराई जाए ताकि लोगों को कम से कम इस अधिनियम का उपयोग करना पडे। ऐसे में माना जा रहा है कि आरटीआई एक्ट के तहत इस तरह का पोर्टल बनाने वाला पहला राज्य है। इस पोर्टल के अलावा नागरिकों को उनके मोबाइल पर विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचाने के लिए जन सूचना पोर्टल मोबाइल एप भी विकसित किया जा रहा है ताकि मीनिमम गर्वेमेंट-मैक्सिमम गर्वेंनेंस की संकल्पना को पूर्णतया धरातल पर उतारा जा सके।
फिलहाल पोर्टल से जुड़े ये 13 विभाग पोर्टल से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, ग्रामीण विकास व पंचायती राज विभाग, प्रारभ्भिक शिक्षा एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग, श्रम एवं रोजगार विभाग, खान एवं भूविज्ञान विभाग, राजस्व विभाग, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, सहकारिता विभाग, ऊर्जा विभाग, आयोजना व सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग और प्रशासनिक सुधार विभाग जुड़े हुए है।
इन 23 योजनाओं की मिलेगी जानकारी पोर्टल पर महात्मा गांधी नरेगा से संबंधित कार्यों की जानकारी, ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौचमुक्त लाभार्थियों की जानकारी, पंचायतीराज संस्थाओं के विकास कार्यों की जानकारी, मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा एवं जांच योजना, आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान, स्वास्थ्य बीमा योजना के लाभार्थियों की जानकारी, सूचना के अधिकार की जानकारी, खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों की जानकारी, उचित मूल्य की दुकानों की जानकारी, राशनकार्ड धारकों की जानकारी, राजस्थान कृषक ऋण माफी योजना-2019 के लाभार्थियों की जानकारी उपलब्ध होगी। इसी प्रकार अल्पकालीन फसली ऋण-2019 के वितरण की जानकारी, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)पर दलहन एवं तिलहन खरीद की जानकारी, शालादर्पण एवं शाला दर्शन की सूचनाएं, विशेष योग्यजनों के लाभार्थियों की जानकारी, सामाजिक सुरक्षा पेन्शन के लाभार्थियों की जानकारी, पालनहार योजना एवं लाभार्थियों की जानकारी, श्रमिक कार्ड धारको की जानकारी, ई-मित्र कियोस्कों की जानकारी, कार्डधारकों की जानकारी, गिरदावरी की नकल, तथा विद्युत उपभोक्ताओं एवं आवेदनों से संबंधित जानकारी भी इस पोर्टल पर मिलेगी।
ये थे कार्यक्रम में कार्यक्रम में दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एपी शाह, सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा रॉय , देश के प्रथम मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह, निखिल डे, पूर्व केन्द्रीय सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू, रक्षिता स्वामी सहित देशभर के करीब 50 आरटीआई कार्यकर्ता, विशेषज्ञ और पूर्व न्यायाधीश शामिल हुए।