कोरोना संकट के चलते लंबे लॉकडाउन में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होने के साथ ही राज्य सरकार को राजस्व प्राप्ति में जबर्दस्त नुकसान का सामना करना पड़ा है। ऐसे में राज्य सरकार का फोकस वित्तीय प्रबंधन करने, आर्थिक गतिविधियों को फिर से पटरी पर लाने पर है। सरकार ने इसके लिए टास्क फोर्स भी बनाई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उच्च स्तरीय बैठकों में वित्तीय प्रबंधन के लिए सरकारी प्रयास किए जाने की बात कई बार कह चुके हैं। मुख्यमंत्री गहलोत ने सरकारी खर्चों को कम करने के निर्देश भी दिए हैं। ऐसे में अब राज्य सरकार लेखा सेवा के अधिकारियों को वित्तीय प्रबंधन की पढ़ाई करने भेजेगी। ताकि वित्तीय प्रबंधन के गुर सीखकर अफसर राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के साथ ही बेहतर वित्तीय प्रबंधन की दिशा में काम कर सकें।
दो साल का होगा पाठ्यक्रम
इसके लिए राज्य सरकार अपने लेखा सेवा के अफसरों को वित्तीय प्रबंधन की पढ़ाई करने के लिए राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान फरीदाबाद भेजेगी। यह पाठक्रम दो साल का होगा जोकि आवासीय होगा। राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान की ओर से दो साल का कोर्स पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन फाइनेशियल मैनेजमेंट करवाया जाता है। यह कोर्स राज्यों के अधिकारियों के लिए भी होता है। ऐसे में राज्य सरकार के वित्त विभाग ने इच्छुक अफसरों से इसके लिए आवेदन मांगे हैं। ताकि संभवतया जुलाई—अगस्त 2020 से शुरू होने वाले इस पाठ्यक्रम के लिए अफसरों को भेजा जा सके।
50 साल कम होनी चाहिए उम्र
राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान की ओर से करवाए जाने वाले इस कोर्स की बात करें तो सरकार ने 50 साल से कम आयु वाले लेखा सेवा के अफसरों से ही आवेदन मांगे हैं। यानि 50 साल से अधिक उम्र के अफसर ये कोर्स नहीं कर पाएंगे। अफसर 12 जून तक संयुक्त शासन सचिव, वित्त राजस्व को अपना आवेदन भेज सकते हैं। इसके बाद राज्य सरकार की ओर से अफसरों को नामिल किया जाएगा। इसके बाद राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान की ओर से प्रवेश आवेदनों की छंटनी की जाएगी और पात्र अभ्यर्थियों का चयन साक्षात्कार और ग्रुप डिस्कशन के माध्यम से किया जाएगा। सरकार की ओर से चयनित अफसरों को पाठ्यक्रम की ट्यूशन फीस, पठन सामग्री, अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों के दैनिक निर्वाह भत्ता का नियमानुसार पुर्नभरण किया जाएगा। आपको बता दें कि राज्य में राज्य लेखा सेवा के कुल 772 अफसर हैं। इनमें से 538 अफसर जूनियर स्कैल के हैं।