राज्यपाल मिश्र शनिवार को जयपुर डायलॉग्स फोरम की ओर से आयोजित राष्ट्रीय नीति के सांस्कृतिक आधार विषय पर जयपुर डायलॉग्स को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति का सार यही है कि सम्पूर्ण राष्ट्र के लोग आपस में जुड़े हुए हैं।
भारतीयों ने भौगोलिक एकता और भावानात्मक एकात्मकता से आपसी सदभाव और सकारात्मकता का वातावरण बनाया है। इससे देश की विश्व में पहचान बनी है। उन्होंने कहा कि उपभोग में संयम, वितरण में समानता, प्रकृति से संतुलन एवं आपसी सद्भाव से ही राष्ट्र का विकास होता है, देश आगे बढ़ता है और यही पक्ष राष्ट्रीय नीति के लिए सांस्कृतिक आधार है।
राज्यपाल मिश्र ने कहा कि भारत ने अपने आचार-विचार से विश्व के लोगों का मन जीता है। प्रकृति का सम्मान और विश्व बन्धुत्व की भावना हमारे राष्ट्र की पहचान है। लोक कल्याणकारी योजनाओं का विस्तार किया जाना आवश्यक है।
जनकल्याणकारी योजनाओं के स्वरूप पर चिंतन करना चाहिए। मिश्र ने कहा कि पूरे देश को एक शरीर की भांति मानेंगे, तब ही संवेदनशीलता और एकाग्रता का भाव पैदा होगा तथा भेदभाव जैसी बुराइयां दूर हो सकेगी।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पंडित दीनदयाल की सोच का आधार सांस्कृतिक था। आपसी सहयोग एवं सदभाव ही भारतीय संस्कृति की पहचान है।
एक-दूसरे की कुशलता का ध्यान रखना, शौर्य बढ़ाना, ईर्ष्या मिटाना और प्रकृति का सम्मान करना भारतीयता है। कार्यक्रम में जयपुर डायलॉग्स फोरम के अध्यक्ष संजय दीक्षित और राज्य सभा सांसद सुंधाशु त्रिवेदी भी मौजूद थे।