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मैं सिर्फ संविधान को ही अपना मालिक मानता हूं: राज्यपाल

locationजयपुरPublished: Jul 29, 2020 01:46:06 pm

Submitted by:

Ankita Sharma

— राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलने सीएम अशोक गहलोत पहुंचे राजभवन

जयपुर। राजस्थान के सियासी ड्रामे में लगातार नए मोड़ आ रहे हैं। एक ओर विधानसभा सत्र को बुलाने को लेकर जुटी कांग्रेस लगातार राज्यपाल पर आरोप लगा रही है। वहीं आज सीएम अशोक गहलोत एक बार फिर राज्यपाल से मिलने पहुंचे। इसी बीच बताया जा रहा है कि राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव तीसरी बार लौटा दिया है।

वहीं कांग्रेस की ओर से लगातार हो रहे जुबानी हमले के बाद अब राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी चुप्पी तोड़ी है। हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में राज्यपाल ने कांग्रेस के आरोप को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि मैं किसी के दवाब में आकर काम नहीं कर रहा हूं। मैं सिर्फ संविधान को ही अपना मालिक मानता हूं और उसी का अनुसरण करता हूं। राज्यपाल ने स्पष्ट कहा कि मैं किसी के प्रभाव में काम नहीं कर रहा हूं। यह आरोप गलत है कि मैं सत्र किसी के दबाव के कारण नहीं बुला रहा हूं। यदि मैं एक गवर्नर हूं, तो मैं हर किसी का गवर्नर हूं, मैं किसी एक पार्टी का गवर्नर नहीं हूं।

राजभवन में धरना देना गलत

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राज्यपाल ने राजभवन में कांग्रेस विधायकों की ओर से धरना देने को गलत बताया। उन्होंने कहा कि राजभवन के अंदर धरना देना और गलत मिसाल कायम करना सही नहीं था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ मेरे अच्छे और सौहार्द्रपूर्ण संबंध हैं। मुझे नहीं पता कि अब क्या हुआ है।

मैंने कभी नहीं कहा कि मैं सत्र बुलाने की अनुमति नहीं दूंगा

बातचीत के दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि मैंने कभी नहीं कहा कि मैं किसी सत्र को बुलाने की अनुमति नहीं दूंगा। मेरा इरादा कभी ऐसा नहीं रहा। लेकिन राज्य सरकार ने मुझे पत्र लिखकर अपने अधिकार को चुनौती दी कि गवर्नर एक सत्र बुलाने के कैबिनेट के फैसले से बाध्य है और उसके पास स्वयं निर्णय लेने की कोई शक्ति नहीं है। मैंने विधि राय ली।

एक राज्यपाल सामान्य परिस्थितियों में कैबिनेट के फैसले का पालन करेगा, राज्यपाल सरकार को अपने सुझाव देने के लिए विशेष परिस्थितियों में अपनी शक्ति का उपयोग कर सकते हैं। कोरोन वायरस के कारण ये विशेष परिस्थितियां हैं और मुझे प्रक्रिया का पालन करना होगा। एक सत्र को अल्प सूचना पर भी बुलाया जा सकता है। लेकिन सरकार को बताना होगा कि जल्दी क्या है। उनके प्रस्ताव में विश्वास मत होने की बात कही गई है। क्या कोई छुपा हुआ एजेंडा है?

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