राज्यपाल ने कहा कि गांधी में भारतीयता के प्रति दृढ़ भावना थी। उनका दर्शन वसुधैव कुटुम्बकम था। गांधी साहसी और वीर पुरूष थे। उनका आभूषण अंहिसा थी। सिद्वांत विहिन राजनीति, नैतिकता विहिन कार्य, चरित्र विहिन जीवन और मानवता विहिन विज्ञान पाप होते हैं।
इस मौके पर महात्मा गांधी के सुपौत्र राज मोहन गांधी ने कहा कि महात्मा गांधी निडर थे। वे अंहिसा के पुजारी थे। जेल जाने और गोली खाने के लिए वे सदैव तैयार रहते थे। गांधी किसी से कम या ज्यादा नहीं थे और न ही वे किसी से ऊंचे और न ही वे किसी से नीचे थे। भारतीय स्वतत्रंता संग्राम का नेतृत्व गांधी ने ही किया था। उन्होंने सदैव दोस्ती फैलाई और नफरत को हटाने का काम किया।
समारोह में राज्यपाल कलराज मिश्र ने डॉ. जैक रीस, दीपक कालरा, फैथ सिंह, धर्मेन्द्र कंवर और डॉ. शमशेर चन्द्र भण्डारी को शॉल ओढ़ाकर व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। इस मौके पर क्लाक्र्स के अपूर्व कुमार सहित अनेक गणमान्य नागरिकगण मौजूद थे।