कार्यक्रम में अजमेर, अजीतगढ़ और जयपुर के कलाकारों ने भजनों पर नृत्य की प्रस्तुति दी। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में देर शाम तक धमाल, घूमर, मयूर नृत्य और फूलों की होली का दौर चला।मंगलाचरण, गणेश स्तुति के बाद श्रीकांत शर्मा ने फाल्गुनी भजनों की झड़ी लगा दी। अजमेर से आए कलाकारों ने सारे ब्रज में धूम मचाया श्याम होली खेलने आया…, होली खेल रहे नंदलाल गोकुल की…, तभी दूंगी सांवरिया तोरी बंशी बजाय… भजनों पर मोर नृत्य और घूमर की प्रस्तुति दी।
दृष्टि और सृष्टि ने राधा-कृष्ण का स्वरूप बनकर कायिक-वाचिक अभिनय से वृंदावन को जीवंत कर दिया। दोनों ने मीठी-मीठी श्याम की बंशी बाजे रे होकर श्याम की दीवानी राधा नाचे रे…, कानूड़ो मोपे रंग डार गयो रे मेरो छीनो दुपट्टा … भजन पर भावानुरूप अभिनय करते हुए नृत्य की मनोरम प्रस्तुति दी।
श्वेता-प्रियंका ने तीखे नैना वाली श्याम ने रिझावली कइयां…, आज खेलन बरसाने आए हैं नटवर नंद किशोर की प्रस्तुति देकर दिल जीत लिया। अंतिम प्रस्तुतियों में फूलों की होली खेली गई। राधा-कृष्ण के स्वरूपों पर जमकर पुष्पवर्षा की गई। उधर, गोविंददेवजी मंदिर में रचना झांकी के अंतर्गत गुलाल से राधा-कृष्ण के होली खेलने की लीला का प्रसंग साकार किया गया।