फिसली ज़बान, हुए वायरल
मीडिया से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री डोटासरा ने कहा कि सावरकर ने वर्ष 2011 और वर्ष 2013 में दया याचिका लिखी थी। जबकि महात्मा गांधी वर्ष 2015 में दक्षिण अफ्रीका से भारत आये थे और बाद में वे राजनीति में उतरे थे।”
भाजपा नेता बोले, ‘गांधी ज़िंदा हैं!’
इधर डोटासरा के वायरल हुए वीडियो अंश पर भाजपा नेता भी चुटकी लेने लगे। पूर्व शिक्षा मंत्री व विधायक वासुदेव देवनानी ने वीडियो अंश के साथ जारी अपनी ट्वीट प्रतिक्रिया में लिखा, ‘अंधेर नगरी चौपट राजा। प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के अनुसार महात्मा गांधी जी 2015 में दक्षिण अफ्रीका से आए थे। जो इतना आलोकिक ज्ञान रखते हो उनसे वीर सावरकर एवं महापुरुषों के इतिहास और शिक्षा व्यवस्था पर कैसे प्रश्न करें? वाह रे कांग्रेस। मतलब गांधी जी जिंदा है।
सावरकर पर पहले भी हुआ ‘आमना-सामना’
वीर सावरकर को लेकर इससे पहले भी मौजूदा शिक्षा मंत्री और पूर्व शिक्षा मंत्री के बीच बयानबाज़ी का सिलसिला गरमा चुका है। दरअसल, कुछ समय पहले डोटासरा ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान आरएसएस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए एक बयान दिया था। उन्होंने तब कहा था कि जब स्वतंत्रता संग्राम में कांग्रेस नेताओं की भूमिका ज़्यादा रही है। उस समय आरएसएस के तो कुछ चुनिंदा लोग ही हुआ करते थे। डोटासरा ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी की विचारधारा में विश्वास रखने वाले युवाओं ने ही देश को आजाद करवाया है।
हालांकि डोटासरा ने कहा था कि हम मना नहीं करते कि सावरकर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल नहीं हुए थे। सावरकर हिंदू राष्ट्र की बात करते थे आजादी से पहले किया करते थे जो तब कोई गुनाह नहीं था। तब देश का संविधान लागू ही नहीं हुआ था।
डोटासरा के इस बयान पर पलटवार करते हुए पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा था कि वीर सावरकर का हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्र की कल्पना राष्ट्रविरोधियों के वंशजों की संकुचित सोच से बाहर का मामला है। एक बयान जारी करते हुए देवनानी ने कहा कि सत्ता की लालसा के चलते अंग्रेजों के तलवे चाटने वाली कांग्रेस के नेताओं से इससे ज्यादा और कुछ उम्मीद भी नहीं की जा सकती।