जीडीपी का आधार वर्ष बदलने की तैयारी में केंद्र
सुस्ती के बीच : 2017-18 करने की संभावना
जीडीपी का आधार वर्ष बदलने की तैयारी में केंद्र
नई दिल्ली. आर्थिक सुस्ती के बीच सरकार सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का आधार वर्ष बदलने की तैयारी में जुट गई है। खास बात है कि पिछली तिमाही में जीडीपी दर 5 फीसदी पर पहुंच जाने के बाद वार्षिक जीडीपी दर को लेकर सरकार आशंकित है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय का कहना है कि अगले कुछ महीनों में जीडीपी की नई सीरीज के लिए नया आधार वर्ष घोषित किया जाएगा। मौजूदा आधार वर्ष 2011-12 है, जिसे बदल कर मंत्रालय 2017-18 करने की तैयारी कर रहा है। इससे जीडीपी की गणना में काफी अंतर आ सकता है। इसका फैसला मंत्रालय की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति करेगी। समिति को अभी अंतिम फैसला करने से पहले उद्योग और ग्राहक व्यय के वार्षिक सर्वेक्षण के आंकड़ों का इंतजार है। मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि एक बार सर्वे के आंकड़े सामने आने के साथ ही उसे विशेषज्ञ समिति के पास रख दिया जाएगा।
सरकार का मानना है कि आधार वर्ष में नियमित अंतराल में बदलाव जरूरी है। इससे जीडीपी की गणना अर्थव्यवस्था की बदलती वास्तविकता पर आधारित होती है। साथ ही इससे वैश्विक और राष्ट्रीय स्थिति का बेहतर ध्यान रखा जा सकता है। हालांकि सरकार अभी जीडीपी की संभावित दर को ले कर कुछ भी कहने से बच रही है। इस संबंध में सांख्यिकी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि यह इस पखवाड़े के अंदर आने वाले अर्थव्यवस्था से संबंधित विभिन्न आंकड़ों पर निर्भर करेगा। इनके सामने आने के बाद ही ज्यादा सटीक अंदाज लगाया जा सकेगा।
पिछली बार आधार वर्ष के बदलाव के दौरान पहले इसे 2009-10 करने का फैसला किया गया था, लेकिन विशेषज्ञों का मानना था कि वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर यह वर्ष ठीक नहीं रहा था, इसलिए अंत में 2011-12 को आधार वर्ष निर्धारित किया गया था। ऐसे में इस बार भी अंतिम फैसले पर पहुंचने से पहले विशेषज्ञ सभी पहलुओं पर गौर कर लेना चाहते हैं।
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