फीसदी से अधिक सरसों तेल इकाईयों में उत्पादन ठप पड़ा हुआ है। क्योंकि
आयातित तेल घरेलू तेलों के मुकाबले काफी सस्ता पड़ रहा है। गौरतलब है कि
खाद्य तेल आयात बिल 70 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। और जिस गति से यह बढ़ रहा है उसे देखते हुए इसके 1 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान
है।
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रह जाएगा स्टॉक किसानों के पास सरसों और सोयाबीन का स्टॉक अभी तक पड़ा हुआ है। जबकि करीब तीन माह बाद नई सोयाबीन मंडियों में आ जाएगी। डाटा ने सुझाव दिया है कि सरसों एवं सोयाबीन पर आयात शुल्क को 35 प्रतिशत से बढ़ाकर 45 फीसदी कर देना चाहिए। इसी प्रकार उद्योग को बचाने के लिए कच्चे पाम तेल पर ड्यूटी
40 से बढ़ाकर 45 प्रतिशत करना जरूरी है। इसके साथ ही कच्चे तेल के आयात
पर 18 फीसदी और आयातित रिफाइंड तेल पर 28 प्रतिशत जीएसटी ( GST On import Oils ) भी लगाया जाना चाहिए।