एक बार उगाओ, सात साल तक पाओ
किसान महेंद्र के मुताबिक एक बीघा जमीन में पामरोजा घास की एक टन से ज्यादा पैदावार हो जाती है। सालभर में पांच बार यह पैदावार ली जा सकती है। खेत में पामरोजा घास बोने के बाद यह सात साल तक मामूली पानी की सिंचाई से उगती रहती है। एक टन पामरोजा घास से औसतन 8 लीटर तेल प्राप्त होता है। इसकी बाजार कीमत प्रति लीटर 2,500 रुपए से भी ज्यादा रहती है। बॉयलर-प्रोसेसर्स मशीन 50 प्रतिशत सब्सिडी पर उपलब्ध हो जाती है।
इस तेल का सर्वाधिक उपयोग कास्मेटिक कंपनियां करती हैं। शैंपू, सेंट और अन्य सामान बनाने में इसका प्रयोग होता है। किसान महेंद्र का तेल महाराष्ट्र में स्थिति कंपनियां ले जाती हैं। इसका उपयोग हकीम और वैद्य भी करते हैं। कमर, हाथ, पैर और घुटना दर्द में इसका बेहतर प्रयोग होता है।
पामरोजा घास की एक ही बार बुवाई करनी होती है। इसे कम पानी से तैयार कर लिया जाता है। तूफान व सूखे जैसी स्थिति में भी इस घास को नुकसान नहीं होता है। इतना ही नहीं, तेल निकलने के बाद जो कचरा बचता है, वो भी ईंधन के रूप में उपयोग होता है। – महेंद्र कापड़िया, युवा किसान