उन्होंने कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए पहले जयपुर नगर निगम को दो हिस्सों में बांटा और अब पक्षपात कर रही है। दो निगमों के गठन के बाद ग्रेटर निगम में शहर का बड़ा हिस्सा होने के कारण 60 फीसदी संसाधन ग्रेटर निगम को देने चाहिए । लेकिन पक्षपात पूर्ण रवैये के कारण पिछले बिजली बिलों के भुगतान का 60 फीसदी जिम्मेदारी ग्रेटर निगम को दी गई। अपने कामकाज का ब्यौरा रखते हुए कर्णावट ने कहा कि ग्रेटर निगम में करीब 500 वैक्सीनेशन कैंप लगाए गए। इन कैंपों में से 208 कैंप उपमहापौर कार्यालय की टीम की ओर से लगाए गए।
केंद्र के भरोसे चल रहा है काम कर्णावट ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने निगम को अपने हिस्से से एक रुपया भी नहीं दिया। केंद्र सरकार ने एनसीएपी के लिए 165 करोड़ रुपए दिए, लेकिन उसमें से भी राज्य सरकार से दोनों निगमों को 50—50 फीसदी राशि आवंटित की। इस राशि से हर वार्ड में 50 लाख के विकास कार्य किए जाएंगे।
कोरोना काल में 40 करोड़ का नुकसान ग्रेटर निगम में राजस्व वसूली को लेकर कर्णावट ने कहा कि कोरोना काल में निगम को करीब 40 करोड़ रुपए आर्थिक नुकसान हुआ। यह नुकसान राज्य सरकार की ओर से कुछ चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया।