शील धाभाई के कार्यकाल में लिखी थी पटकथा
सूत्रों की मानें तो शहर के एक विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र के दो पार्षदों के चेयरमैन बनाए जाने से खुश नहीं थे। इनकी जगह अपने चहेतों को चेयरमैन बनवाना चाहते थे। ऐसे में विधायक ने शील धाभाई को पत्र लिखा। हालांकि, धाभाई ने उस समय ये कहकर मना कर दिया कि मैं अभी ऐसे फैसले लेने की स्थिति में नहीं हूं।
—संगठन और विधायकों में अनबन लम्बे समय से चल रही है। समितियों के गठन में भी विधायकों की नहीं चली। ऐसे में पार्षदों को आगे कर विद्रोह करवा रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो शहर के एक विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र के दो पार्षदों के चेयरमैन बनाए जाने से खुश नहीं थे। इनकी जगह अपने चहेतों को चेयरमैन बनवाना चाहते थे। ऐसे में विधायक ने शील धाभाई को पत्र लिखा। हालांकि, धाभाई ने उस समय ये कहकर मना कर दिया कि मैं अभी ऐसे फैसले लेने की स्थिति में नहीं हूं।
—संगठन और विधायकों में अनबन लम्बे समय से चल रही है। समितियों के गठन में भी विधायकों की नहीं चली। ऐसे में पार्षदों को आगे कर विद्रोह करवा रहे हैं।
इसलिए समितियों में फेरबदल करना आसान नहीं
—नगर पालिका अधिनियम में अध्यक्षों को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है।
सेक्शन 55 में सिर्फ समितियों के गठन का प्रावधान है।
—राज्य सरकार ने समितियों को भंग कर दिया था, इसके बाद समितियों की बहाली उच्च न्यायालय से हुई थी। कोर्ट ने समितियों के रद्द करने के आदेश पर रोक लगा दी थी।