पौधों के विकास में बाधक हैं ग्रीन हाउस गैसें
जयपुरPublished: Jan 28, 2020 08:54:15 pm
ग्रीन हाउस गैसों में 50 फीसदी की कटौती जलवायु परिवर्तन से निपटने के साथ-साथ पौधों के विकास में भी सहायक हो सकती है
जयपुर।
डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों से होने वाले प्रदूषण और कुछ विषैली गैसों में कमी ले आएं तो तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन में कमी लाई जा सकती है। इस प्रदूषण का एक और प्रभाव पौधों पर हो रहा है। एक शोध में यह सामने आया है कि ग्रीन हाउस गैसों मेंं यदि 50 फीसदी की कटौती कर ली जाए तो जलवायु परिवर्तन के साथ साथ पौधों के विकास में भी यह सहायक सिद्ध हो सकता है। यह न सिर्फ पौधों को जल्द विकसित होने में मदद करती है। बल्कि साथ ही उन्हें अधिक कार्बन अवशोषित करने के लायक भी बनाती है।
ओजोन का उत्सर्जन सीधे तौर पर नहीं होता है। मुख्यत: कार्बन मोनोऑक्साइड, मीथेन, वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों और नाइट्रोजन ऑक्साइडों के आपस में जटिल रासायनिक प्रतिक्रिया करने के कारण वायुमंडल में ओजोन का निर्माण होता है। यही ओजोन पृथ्वी की सतह पर प्रकाश संश्लेषण को सीमित कर देती है, जिससे पौधे प्रचुर मात्रा में भोजन नहीं बना पाते। परिणामस्वरूप उनके बढऩे की क्षमता घट जाती है। यह अध्ययन एक्सेटर विश्वविद्यालय द्वारा किया गया है।
अध्ययन के अनुसार यह गैसें मुख्यत: सड़क परिवहन और ऊर्जा उत्पादन, कृषि, आवास, उद्योग, वेस्ट/ लैंडफिल और शिपिंग, इन सात स्रोतों से सबसे अधिक उत्सर्जित होती है। शोधकर्ताओं के अनुसार जमीन पर मौजूद इकोसिस्टम हर साल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का करीब 30 फीसदी हिस्सा स्टोर कर लेता है। जिसके कारण वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि घट जाती है।”
शोध से पता चला है कि पूर्वी अमेरिका, यूरोप और पूर्वी चीन में पौधों की उत्पादकता तेजी से कम हो रही है। जहां ओजोन प्रदूषण काफी ज्यादा है। अनुमान है कि इन क्षेत्रों में पौधों की वृद्धि पर हर साल करीब 5 से 20 फीसदी का असर पड़ रहा है। में कमी लाने का एक प्राकृतिक उपाय है। साथ ही यह जीवाश्म ईंधन से हो रहे उत्सर्जन में कमी करने, वायु की गुणवत्ता में सुधार लाने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में अहम भूमिका निभा सकता है।