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अवैध शराब की भटिट्यों के लिए हरे पेड़ों की ली जा रही बलि, वन अधिकारी सोते रहे

locationजयपुरPublished: Jun 07, 2020 06:34:47 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

वैश्विक महामारी कोरोना के संकट ने आज पूरे विश्व को पर्यावरण के महत्व को बताया है। इसके बावजूद राजधानी जयपुर से महज 30-35 किमी दूर एक गांव में शराब माफिया अपनी भटिट्यों के लिए हरे पेड़ों की बलि ले रहे हैं।

green trees cut for illegal liquor in jaipur

वैश्विक महामारी कोरोना के संकट ने आज पूरे विश्व को पर्यावरण के महत्व को बताया है। इसके बावजूद राजधानी जयपुर से महज 30-35 किमी दूर एक गांव में शराब माफिया अपनी भटिट्यों के लिए हरे पेड़ों की बलि ले रहे हैं।

शैलेंद्र शर्मा/जयपुर। वैश्विक महामारी कोरोना के संकट ने आज पूरे विश्व को पर्यावरण के महत्व को बताया है। इसके बावजूद राजधानी जयपुर से महज 30-35 किमी दूर एक गांव में शराब माफिया अपनी भटिट्यों के लिए हरे पेड़ों की बलि ले रहे हैं। ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद वन विभाग के जिम्मेदार अफसर गहरी नींद में सोते रहे या उनकी शह पर यह सब चलता रहा, इस पर संदेह बना हुआ हैं।

जयपुर—दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर ढंड गांव से करीब आठ किलोमीटर अंदर की तरफ स्थित हैं पाली और निम्बी गांव का जंगल। बीड़ हनुमान मंदिर के पास के स्थित वन पर पिछले कुछ महीनों से अवैध शराब बनाने वाले तस्करों की नजर लग गई। जिन्होंने अपनी अवैध शराब बनाने की भटिट्यों में जलाने के लिए वहां लगे धोक और शीशम के हरे-हरे काटना दिया। ये लोग लगातार मशीनों हरे पेड़ों की कटाई कर रहे और इनका यह सिलसिला लॉकडाउन के बीच में भी नहीं रुका।
इसके बावजूद वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। जिससे इस बात का संदेह पैदा होता हैं कि कई इस अवैध कटाई में उनका हाथ तो नहीं हैं। पेड़ों की कटाई पर पाली गांव के निवासी विक्रम गुर्जर ने हिम्मत दिखाई और मुख्यमंत्री संपर्क पोर्टल पर इसकी शिकायत की। उसने वन विभाग के अधिकारियों को मेल के जरिए इस मामले की जानकारी देते हुए इस कारगुजारी के संबंध में अधिकारियों को कुछ फोटो भी भेजे। इसके बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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मैदान में तब्दील होता जमवारामगढ़ अभयारण
लगातार अंधाधुंध हो रही कटाई के चलते घने पेड़ों से वनाच्छित रहने वाला यह अभयारण्य क्षेत्र अब कुछ कुछ सपाट मैदान की तरह दिखने लगा हैं। जिससे ना सिर्फ आसपास के गांवों के पानी का स्तर कम होने लगा हैं, बल्कि इस क्षेत्र में रह रहे वन्य जीवों के अस्तित्व पर संकट आ गया हैं।
ग्रामीणों का आरोप
ग्रामीणों का आरोप हैं कि वन्य अधिकारियों व वन्यकर्मियों के इस में लिप्त होने की आशंका हैं। इसी के चलते ना तो गश्त हो रही हैं और ना ही वन्य चौकियों में कोई रहता है। वन एवं वन्यजीव मामलों के वकील महेन्द्र सिंह कच्छावा का कहना है कि इस तरह से पेड़ों की कटाई गंभीर विषय हैं। इसमें निश्चित रूप से वन विभाग की लापरवाही दिखाई देती हैं।
जयपुर के आसपास के वनक्षेत्रों में ही नहीं बारां, झालावाड़, कोटा और भीलवाड़ा समेत कई जिलों में पेड़ों की अवैध कटाई हो रही हैं। वन विभाग को सख्त कार्रवाई करनी होगी।
तपेश्वर सिहं भाटी, पर्यावरण और वन्यजीव प्रेमी
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