केंद्र को जीएसटी से राजस्व को होने वाले नुकसान की एवज में राज्यों को 97 हजार करोड़ रुपये चुकाना था, लेकिन कोरोना के कारण यह राशि बढ़कर 2.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। पिछले हफ्ते सीतारमण ने कहा था कि कोई भी सहमति न बनने पर केंद्र 20 हजार करोड़ रुपये इस साल के लिए जारी कर देगा।
केंद्र सरकार ने जीएसटी कानून लाने के साथ राज्यों से वादा किया था कि अगर उनका राजस्व सालाना 14 फीसदी की दर से नहीं बढ़ता है तो उससे खजाने को होने वाले नुकसान की भरपाई पांच साल तक वह करेगी। हालांकि वह इस साल क्षतिपूर्ति देने में खुद को असमर्थ पा रही है। इस साल की शुरुआत में बैठक के बाद केंद्र ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से पूरा 2.35 लाख करोड़ रुपये या सिर्फ जीएसटी मुआवजे का 97 हजार करोड़ रुपये बाजार से उधार लेने को कहा था।
केंद्र का कहना है कि वह राज्यों द्वारा लिए गए उधार का बोझ वहन करेगी, जीएसटी सेस के जरिये 2022 तक राज्यों को इसका वापस भुगतान कर दिया जाएगा। केरल, बंगाल समेत कई राज्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारियों को याद दिलाया है।
जीएसटी से राज्यों के खजाने को हुए नुकसान की भरपाई का मुद्दा जीएसटी परिषद में पहला ऐसा बड़ा विषय बनकर उभरा है, जिसको लेकर आम सहमति नहीं बन पा रही है। अमूमन राज्यों के वित्त मंत्रियों की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद की बैठकों में निर्णय आम सहमति से होते रहे हैं। कोविड महामारी के दौर में केंद्र और राज्यों की खस्ता आर्थिक हालत के बीच ये मतभेद उभरे हैं।