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जीएसटी से होली का ‘रंग’ पड़ा फीका

locationजयपुरPublished: Feb 23, 2018 01:29:35 pm

Submitted by:

Vikas Jain

होली के रंग पर भी जीएसटी की मार,पहले के मुकाबले इस बार भाव में रहेगी तेजी

GST EFFECT ON HOLI
टोंक रोड. जब से देश में जीएसटी लागू की गई है कोई भी त्योहार हो उस पर सीधा असर नजर आ जाता है। सबसे कम खर्चीले त्योहारों में माने जाने वाली होली के रंग पर भी इसका असर दिख रहा है। पिछले 40 साल से गुलाल और रंग पर कोई टैक्स नहीं लगता था। इस बार यह जीएसटी के दायरे में आ गए और करीब 18 प्रतिशत टैक्स लगा दिया गया है। टैक्स लगने से इसका उत्पादन के साथ ही बिक्री पर असर पड़ रहा है।

बाजार भी गिरा औंधे मुंह………..
करतारपुरा-सुदर्शनपुरा औद्योगिक क्षेत्र में होली के लिए गुलाल तैयार की जाती है। करीब एक से दो माह पहले इसकी तैयारी शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार होली के जल्दी आने का असर भी इस पर पड़ा है। सर्दी होने के कारण जितनी खपत होती है उस मात्रा में भी गुलाल तैयार नहीं हुई। साथ ही जीएसटी के कारण भी करीब बाजार में 30 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिल रही है। जहां यहां एक फैक्ट्री में 800 के करीब गाड़ी माल की सप्लाई की जाती थी वह 600 ही रह गई है। एक अनुमान के मुताबिक जहां एक कट्टा 200 रुपए का आता था,वह अब 236 रुपए का आ रहा है।

ऐसे तैयार होता है गुलाल………….
गुलाल तैयार करने के लिए टेलीग्राम, डाई, नेचुरल डाई ऑक्साइड, कलर आदि को मिलाकर मशीन से मिलाया जाता है। इसके बाद इसको सुखाते हैं और तैयार गुलाल का पैकेट और कट्टों में डालकर सप्लाई किया जाता है। इसके साथ ही हर्बल गुलाल बनाने में सात दिन का समय लगता है। इसको तैयार करने के लिए पहले कलर किया जाता है फिर धूप में सुखाया जाता है और मशीनों से पीसकर उसमें खूशबू के लिए एसल्स मिलाकर तैयार किया जाता है।
कई जगह सप्लाई होता है। होली के त्योहार पर गुलाबी नगरी का गुलाल न केवल राजस्थान में बल्कि कई राज्यों में रंग बिखेरता है। जैसे-जैसे होली करीब आती है वैसे-वैसे इसमें और तेजी आ जाती है। यहां की गुलाल केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु तक जाती है। जयपुर की गुलाल देशभर में सबसे ज्यादा पसंद की जाती है।

मिलावट न पड़ जाए भारी……
ऐसा कोई त्योहार नहीं होता जिस पर मिलावट का डर नहीं होता। गुलाल में भी मिट्टी मिलाई जाती है। साथ ही रंग में कई बार त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले कैमिकल मिला दिए जाते है, जिससे कई बार लोगों को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

इनका कहना है……
40 साल में इस बार भावों में सबसे तेजी देखी गई है। इसका मुख्य कारण जीएसटी है। इससे बाजार में गिरावट भी आई है। करीब 30 प्रतिशत तक ये गिरावट है। जीएसटी 18 प्रतिशत होने से तैयार माल का ही भाव बढ़ गया। इसका असर बाजार पर पड़ता है।
-मोहित,
फैक्ट्री मालिक।
इस बार माल में तेजी रही है। सस्ते के फेर में कई मिलावट भी बेच देते है। अरारोट की गुलाल अबकी बार 60 रुपए किलो तक बिक सकती है। जीएसटी का असर पड़ा है। पांच दिन पहले दुकान लगाते हैं।
-सुभाष अग्रवाल,
दुकानदार।

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