सरसों: सैस खत्म हो तो मिले राहत
मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) के नेशनल प्रेसिडेंट बाबूलाल डाटा ने कहा कि अकेले राजस्थान में कुल उत्पादन की 50 फीसदी यानी 40 लाख टन सरसों पैदा होती है। इस पर सरकार ने एक फीसदी
मंडी सैस लगा रखा है। देश में कुल 80 लाख टन सरसों का उत्पादन होता है। सरकार मंडी सैस समाप्त करती है तो किसान को उसकी उपज का सही मूल्य मिलेगा तथा किसान सरसों पैदावार की ओर ज्यादा ध्यान देगा। राज्य की 1700 तेल इकाइयों को जीवनदान भी मिल सकेगा।
मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) के नेशनल प्रेसिडेंट बाबूलाल डाटा ने कहा कि अकेले राजस्थान में कुल उत्पादन की 50 फीसदी यानी 40 लाख टन सरसों पैदा होती है। इस पर सरकार ने एक फीसदी
मंडी सैस लगा रखा है। देश में कुल 80 लाख टन सरसों का उत्पादन होता है। सरकार मंडी सैस समाप्त करती है तो किसान को उसकी उपज का सही मूल्य मिलेगा तथा किसान सरसों पैदावार की ओर ज्यादा ध्यान देगा। राज्य की 1700 तेल इकाइयों को जीवनदान भी मिल सकेगा।
जयपुर दाल मिलर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन अग्रवाल ने बताया कि बाहर से आकर राजस्थान में बिकने वाले मूंग, चना, मोठ, उड़द एवं मसूर आदि पर 1.60 फीसदी मंडी शुल्क लिया जा रहा है। यह गलत है। बाहर से दालें मंगवाने पर मंडी शुल्क नहीं है। ऐसे में राजस्थान से दलहन बाहर जा रहा है। इससे राजस्थान की 70 फीसदी दाल मिलों में ताले लग गए हैं। क्योंकि बाहर से दालें मंगाने पर मंडी सैस नहीं है।