जयपुर

जीएसटी लागू, तो मंडी सैस का औचित्य क्या है?

कारोबारियों की राज्य सरकार से बजट पूर्व मांग

जयपुरFeb 20, 2020 / 01:00 am

Jagmohan Sharma

जीएसटी लागू, तो मंडी सैस का औचित्य क्या है?

जयपुर. प्रदेश के कारोबारियों ने राज्य सरकार से विभिन्न जिंसों पर लगने वाले मंडी शुल्क को समाप्त करने की मांग की है। राज्य का बजट गुरुवार को आने वाला है। कारोबारियों का कहना है कि पूरे देश में समान जीएसटी लागू कर दिया गया है तो राजस्थान में दलहन, तिलहन, देशी घी एवं चीनी आदि जिंसों पर मंडी शुल्क लेने का क्या औचित्य है? टैक्स की असमानता के कारण राजस्थान का कारोबार अन्य राज्यों के मुकाबले पिछड़ रहा है।
सरसों: सैस खत्म हो तो मिले राहत
मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) के नेशनल प्रेसिडेंट बाबूलाल डाटा ने कहा कि अकेले राजस्थान में कुल उत्पादन की 50 फीसदी यानी 40 लाख टन सरसों पैदा होती है। इस पर सरकार ने एक फीसदी
मंडी सैस लगा रखा है। देश में कुल 80 लाख टन सरसों का उत्पादन होता है। सरकार मंडी सैस समाप्त करती है तो किसान को उसकी उपज का सही मूल्य मिलेगा तथा किसान सरसों पैदावार की ओर ज्यादा ध्यान देगा। राज्य की 1700 तेल इकाइयों को जीवनदान भी मिल सकेगा।
जयपुर दाल मिलर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन अग्रवाल ने बताया कि बाहर से आकर राजस्थान में बिकने वाले मूंग, चना, मोठ, उड़द एवं मसूर आदि पर 1.60 फीसदी मंडी शुल्क लिया जा रहा है। यह गलत है। बाहर से दालें मंगवाने पर मंडी शुल्क नहीं है। ऐसे में राजस्थान से दलहन बाहर जा रहा है। इससे राजस्थान की 70 फीसदी दाल मिलों में ताले लग गए हैं। क्योंकि बाहर से दालें मंगाने पर मंडी सैस नहीं है।
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