इस दिन घर को सजाकर गुड़ी यानि ध्वज फहराने की परंपरा है. मान्यता है कि इससे बुराइयों का नाश होता है और घर में सुख समृद्धि आती है। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन घरों में पारंपरिक व्यंजन पूरन पोली, श्रीखंड मीठे चावल आदि बनाए जाते हैं। दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में इस दिन को उगाडी पर्व के रूप में मनाते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि इस बार गुडी पड़वा पर अनेक शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन कई जगहों पर विशेष रूप से ब्रह्माजी की पूजा करने का भी विधान है। इस दिन स्नान के बाद घरों में मुख्य द्वार पर तोरण अर्थात आम या अशोक के पत्तों के बंदनवार लगाते हैं। उसके बाद गुड़ी बनाई जाती है और इसे घर में शुभ दिशा में लगाया जाता है।
गुड़ी का अर्थ होता है ध्वज, झंडा या पताका. इसे विजय के प्रतीक के रूप में लगाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन शालिवाहन ने मिट्टी के सैनिकों की सेना तैयार कर शत्रुओं का पराभव किया था। दक्षिण भारत में मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने बालि का वध कर उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। इसीलिए यह विजय पर्व के रूप में मनाया जाता है।
गुड़ी पड़वा का शुभ मुहूर्त
गुड़ी पड़वा की तिथि : 13 अप्रैल 2021
प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ : 12 अप्रैल सोमवार को सुबह 8 बजे से
प्रतिपदा तिथि का समापन : 13 अप्रैल मंगलवार को सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक।