दिव्या ने बताया, ‘मैं कभी यह नहीं सोचती कि फिल्में कम की हैं। मैं फिल्मों से ज्यादा थिएटर में सक्रिय हूं, क्योंकि थिएटर में काफी इंटरेस्टिंग करने को मिला। यहां तक कि लिखने का भी मौका मिला और कई नाटकों को डायरेक्टर्स ने नामचीन फेस्टिवल में पेश भी किया है। राइटिंग के शौक के कारण दिमागी रूप से मजबूत हो गई हूं। जब मेरे बेटा हुआ था, तब पांच साल का ब्रेक ले लिया था। अब जब मेरे पास पर्याप्त समय है। अब सीमा भार्गव की फिल्म ‘पिंडदान’ करने वाली हूं।’
दिव्या ने कहा कि बेटे का फिल्म मेकिंग में इंटरेस्ट है और उसके लिए हमने कई सीन घर पर ही क्रिएट किए हैं। उसे ट्रेनिंग देने के लिए उसके स्कूल जाने से लेकर आने तक के कई सीन हमने मोबाइल से ही शूट कर उसे समझाए हैं। अब तो स्कूलों में ही फिल्म मेकिंग सिखाने लगे हैं, जिसका फायदा बच्चों को मिल रहा है।
-दिव्या जगदाले