डिग्गी पैलेस के बैठक सभागार में आयोजित सत्र में गांधीवादी विचारक डॉ.एस.एल.गांधी, साहित्यकार डॉ. नरेंद्र शर्मा ‘कुसुम’ और पत्रिका के मैग्जीन सेक्शन के संपादक आनंद जोशी ने पुस्तक का विमोचन किया। पत्रिका समूह के वाइस प्रेसीडेंट अरविंद कालिया ने सत्र का समन्वय किया।
नरेंद्र कुसुम ने कहा कि पुस्तक का शीर्षक ही पुस्तक की उद्देश्यिका है। पुस्तक के माध्यम से डॉ. कोठारी ने बताया है कि आध्यत्मिकता का तत्व हम सभी के भीतर है। अगर हम अपने परिवार, समाज, देश और विश्व में शांति चाहते हैं तो हमें अपने विचारों का आध्यत्मिक आमुखीकरण करना होगा। अपनी सोच में आध्यात्मिकता लानी होगी। खासकर, शिक्षा में आध्यमित्कता का पुट होना आवश्यक है।
वर्तमान की शिक्षण व्यवस्था में यह तत्व अनुपस्थित है। एस.एल.गांधी ने कहा कि कोठारी ने किताब में बताया है कि हम लौकिक दुनिया में जीते हैं, अपने भीतर की दुनिया को भूलते जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि शांति और समरसता तभी संभव है, जब हम इसे भीतर से महसूस करें। शांति और युद्ध दोनों इंसान के दिमाग में समाए हुए हैं। हमे गीता के कृष्ण को समझना चाहिए, तभी हम भीतरी शांति और समरसता पा सकते हैं। कार्यक्रम के अंत में आनंद जोशी ने धन्यावाद ज्ञापित किया।