कोठारी ने भारतीय अन्तराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के तहत शनिवार को यहां विज्ञान यात्रा को वर्चुअल तरीके से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जिस ज्ञान—विज्ञान के सहारे देश जगत गुरु रहा, फिर क्या कारण रहे कि हम विश्व को नेतृत्व नहीं दे पा रहे। इस पर चिंतन करना होगा। पीआइबी की अतिरिक्त महानिदेशक प्रज्ञा पालीवाल गौड़, विज्ञान भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक लक्ष्मण सिंह राठौड, सीएसआइआर—सीरी पिलानी के निदेशक डॉ. पी सी पंचारिया व विज्ञान भारती के सचिव डॉ. मघेन्द्र शर्मा ने भी विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। विज्ञान भारती के ई—न्यूजलेटर का विमोचन भी किया गया।
शिक्षा हमें दूर ले जा रही है:
कोठारी ने कहा कि आज विकास के नाम पर सब उलट गया है। उच्च शिक्षा के नाम पर आत्मा कॉलेज में ही छूट जाती है। तब आत्मनिर्भर कैसे होंगे? 5 जी व एआई तकनीक हमें रोबोट बना देगी। हर देश मातृभाषा में शिक्षा देता है और संस्कृति पर गर्व करता है, लेकिन हमारी शिक्षा स्वयं से ही दूर ले जाती है। आधुनिक विज्ञान पैदा भी नहीं हुआ, तब कृष्ण ने गीता में विज्ञान का उद्घोष किया। अब भी समय है, हम वैदिक, पौराणिक व औपनिषदिक ज्ञान को शिक्षा नीति का आधार बनाएं।
कोरोना ने पोल खोली:
कोठारी ने कहा, कोरोना महामारी ने समझा दिया है कि आधुनिक विज्ञान ने मानवता को कितना मारा। कोरोना वायरस इसी की देन है। विज्ञान ने अन्न को विष बना दिया और मौत के सौदागरों ने विज्ञान के नाम पर कैंसर पैदा किया।
8 माह में हमने ताकत दिखाई:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने कहा कि कोरोनाकाल के 8 माह में दिखा दिया कि हम कैसे आत्मनिर्भर बन सकते है, चुनौतियां रोक नहीं सकती है। हम केवल कमजोरी पर चिंतन करते हैं, ताकत पर ध्यान नहीं देते। आत्म सम्मान और आत्म चिंतन भी आम्मनिर्भरता के ही स्तम्भ हैं।
अब टमाटर खराब नहीं होगा:
श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति जे एस संधू ने कहा कि हरित क्रांति, श्वेत क्रांति और धान क्रांति के लिए हमको विश्व खाद्य पुरस्कार मिल चुके हैं। हाल ही विवि ने टमाटर के लिए कोटिंग तैयार की है, जिससे जल्दी खराब नहीं होगा।
गांवों में विज्ञान की समझ कम नहीं:
एमएनआइटी के निदेशक प्रो. उदयकुमार यारागट्टी ने कहा कि कोठारी जी ने जो सच कहा, उसके लिए कलेजा चाहिए। आसान नहीं है। विज्ञान में रंग—स्वाद नहीं होता, लेकिन समझाने में गलती व राजनीति की जाती है। राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर के निदेशक प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने आयुर्वेद को आधुनिक विज्ञान ही बताया, वहीं कहा कि ऋषि मुनियों के समय यहां विज्ञान उच्च स्तर पर रहा, लेकिन विदेशी आक्रमणों ने नुकसान पहुंचाया। गुलाब जी ने जो कहा, उस पर सोचना होगा।