दरअसल, हालिया हुए गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान राजस्थान हाईकोर्ट में प्रार्थी सुनील समदड़िया की ओर से जनहित याचिका दाखिल हुई थी। याचिका में आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों की ओर से रेल मार्ग और सड़क मार्ग रोके जाने का ज़िक्र किया गया था। साथ ही अदालत को अवगत करवाया गया था कि रेल और सड़क मार्ग अवरुद्ध होने से आम जान को कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
इस याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग की खंडपीठ में हुई इस सुनवाई में राजस्थान सरकार के मुख्या सचिव और गुर्जर नेता कर्नल बैंसला सहित अन्य को नोटिस जारी किए गए। सीएस और बैंसला से अदालत ने याचिका सन्दर्भ में जवाब-तलब किया है। हाईकोर्ट ने नोटिस का जवाब चार सप्ताह में मांगा हैं।
नौ दिन चला गुर्जर आंदोलन पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जरों का हालिया आंदोलन नौ दिन तक चला। सरकार की कवायद के बाद किरोड़ी सिंह बैंसला ने आंदोलन खत्म करने की घोषणा की। दरअसल, बैंसला ने राज्य सरकार से लिखित आश्वासन की मांग की थी, जिसे सरकार ने मान लिया। पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने एक लिखित आश्वासन गुर्जर नेताओं को सौंपा।
इसपर बैंसला ने कहा था, ‘राज्य सरकार ने यह आश्वासन दिया है कि विधानसभा में पारित विधेयक को अगर कोई कानूनी चुनौती मिलती है, तो सरकार पूर्ण रुप से गुर्जरों का समर्थन करेगी।’
इससे पहले राज्य की गहलोत सरकार ने राज्य विधानसभा में गुर्जर सहित पांच जातियों के आरक्षण संबंधी विधेयक को पारित करवा दिया था और इस बारे में अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी। आंदोलन के चलते लगभग 64 रेलगाडि़यों को निरस्त किया गया और 71 रेलगाडियों के मार्ग में परिवर्तन किया गया, वहीं 32 रेलगाडियां आंशिक रूप से रद्द रहीं।