बैंसला ने कहा कि सरकार अपनी पावर का गलत इस्तेमाल कर रही है। “समान अपराध समान दंड” के नियम के तहत सरकार को कांग्रेस नेताओं पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गुर्जर समाज के खिलाफ पुलिस एफआईआर 33 लोगों पर नहीं बल्कि प्रदेश भर के एमबीसी समाज पर हुई है क्योंकि यह महापंचायत समस्त राजस्थान के एमबीसी समाज की बुलाईं गई थी। इन तरीकों से समाज को जितना दबाने की कोशिश की जायेगी उसमें उतना ही उबाल आएगा।
गुर्जर नेता हिम्मत सिंह ने कहा है कि गुर्जर नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज कर राज्य सरकार एमबीसी के न्याय और हक की आवाज को दबाना चाहती है। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना काल में सभी राजनीतिक दलों ने कई बार धरना-प्रदर्शन किये, लेकिन एक भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई। समाज इसका सरकार को करारा जवाब देगी।
भरतपुर के बयाना तहसील के अड्डा गांव में शनिवार को गुर्जर महापंचायत बुलाई गई थी। इसमें समाज ने आन्दोलन को स्थगित करने का तो एलान कर दिया था पर अगले ही दिन रविवार को पुलिस ने महापंचायत के आयोजन को कोरोनाकाल में बिना अनुमति होने का हवाला देते हुए गुर्जर नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर डाली।