दो बार बदला टाइम टेबल
अर्द्धवार्षिक परीक्षा का टाइम टेबल दो बार अब तक बदला जा चुका है। पहले समाजोपयोगी विषय की परीक्षा को हटाया गया था, उसके बाद गांधी विचार संस्कार परीक्षा के कारण अर्द्धवार्षिक परीक्षा का टाइम टेबल बदला गया है। दोनों ही बार प्रदेशभर में अधिकांश स्थानों पर टाइम टेबल छप चुके थे। अब विद्यार्थी इस टाइम टेबल को लेकर भी परेशान हैं।
अर्द्धवार्षिक परीक्षा का टाइम टेबल दो बार अब तक बदला जा चुका है। पहले समाजोपयोगी विषय की परीक्षा को हटाया गया था, उसके बाद गांधी विचार संस्कार परीक्षा के कारण अर्द्धवार्षिक परीक्षा का टाइम टेबल बदला गया है। दोनों ही बार प्रदेशभर में अधिकांश स्थानों पर टाइम टेबल छप चुके थे। अब विद्यार्थी इस टाइम टेबल को लेकर भी परेशान हैं।
कई जगह नहीं हुआ कोर्स पूरा
अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं में इस बार कई जगहों पर विद्यार्थियों को परेशानी होगी। कई स्कूल ऐसे हैं, जिनमें अभी तक कोर्स पूरा नहीं हुआ है। इसके पीछे बड़ा कारण हैं तबादले। इस बार प्रिंसिपल और व्याख्याताओं के तबादले हुए, इनमें से करीब 200 प्रिंसिपल ने कार्यग्रहण ही नहीं किया। अब विभाग उनसे समझायश में लगा है। यही हाल व्याख्याताओं का भी। करीब 2 महीने से ये स्कूल नहीं गए, ऐसे में विद्यार्थियों का कोर्स पूरा नहीं हो सका है। कई शिक्षकों ने न्यायालय की शरण ली है, ऐसे में एक ही स्कूल में दो—दो प्रिंसिपल या व्याख्याता हो गए हैं, जबकि दूसरे स्थान पर एक भी प्रिंसिपल या व्याख्याता नहीं है। ऐसी स्थिति में स्कूलों में कोर्स पूरा नहीं हो पाया है। जबकि बोर्ड कक्षाओं का तो पूरा कोर्स ही अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं से पहले हो जाना चाहिए था। वहीं दूसरी ओर शिक्षकों को यह भी चिंता सता रही है कि जब कोर्स ही पूरा नहीं हुआ तो वे बेहतर परिणाम आखिर कैसे देंगे। परिणाम कम रहने पर अब विभाग शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।
अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं में इस बार कई जगहों पर विद्यार्थियों को परेशानी होगी। कई स्कूल ऐसे हैं, जिनमें अभी तक कोर्स पूरा नहीं हुआ है। इसके पीछे बड़ा कारण हैं तबादले। इस बार प्रिंसिपल और व्याख्याताओं के तबादले हुए, इनमें से करीब 200 प्रिंसिपल ने कार्यग्रहण ही नहीं किया। अब विभाग उनसे समझायश में लगा है। यही हाल व्याख्याताओं का भी। करीब 2 महीने से ये स्कूल नहीं गए, ऐसे में विद्यार्थियों का कोर्स पूरा नहीं हो सका है। कई शिक्षकों ने न्यायालय की शरण ली है, ऐसे में एक ही स्कूल में दो—दो प्रिंसिपल या व्याख्याता हो गए हैं, जबकि दूसरे स्थान पर एक भी प्रिंसिपल या व्याख्याता नहीं है। ऐसी स्थिति में स्कूलों में कोर्स पूरा नहीं हो पाया है। जबकि बोर्ड कक्षाओं का तो पूरा कोर्स ही अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं से पहले हो जाना चाहिए था। वहीं दूसरी ओर शिक्षकों को यह भी चिंता सता रही है कि जब कोर्स ही पूरा नहीं हुआ तो वे बेहतर परिणाम आखिर कैसे देंगे। परिणाम कम रहने पर अब विभाग शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।