इस सर्जरी को करने वाले ऑर्थोपेडिक एवं हैंड सर्जन डॉ. गिरीश गुप्ता ने बताया कि बच्ची के दोनों हाथों के अंगूठे जन्मजात ही ठीक तरीके से विकसित नहीं हुए थे। इस स्थिति को हायपोप्लास्टिक थम्ब कहते हैं। अंगूठे न होने के कारण बच्ची कुछ भी पकड़ नहीं पाती थी। जब बच्ची के माता-पिता ने हमें यह दिखाया तो हमने उसके दोनों हाथों में अंगूठे लगाने की सर्जरी (पॉलीसाइजेशन) के बारे में परिजनों को बताया। यह सर्जरी एक बार में एक ही हाथ में होती है और इस केस में पहले मरीज के बाएं हाथ की सर्जरी की गई।
हैंड सर्जन डॉ. गिरीश गुप्ता ने बताया कि पॉलीसाइजेशन के लिए बच्ची की तर्जनी उंगली को अपनी जगह से हटाकर उसका अंगूठा बनाया। यह सर्जरी काफी जटिल व रिस्की थी, क्योंकि इसमें अंगूली को माँसपेशियों व नसों के साथ अपनी जगह से उठाकर अंगूठे की जगह पर प्रत्यारोपित करना पड़ता है। ऐसे में नसों को चोट लगने या दबाव से बंद होने का खतरा व अंगूली हमेशा के लिए खोने का भी डर रहता है।