सांसद बेनीवाल ने फिर लगाए गहलोत-राजे गठजोड़ के आरोप, मोदी-शाह से की दोनों के नार्को टेस्ट की मांग
आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल के फिर दिखे आक्रामक तेवर, गहलोत-वसुंधरा गठजोड़ के आरोप लगाकर साधा निशाना, मुख्यमंत्री-पूर्व मुख्यमंत्री के नार्को टेस्ट की उठाई मांग, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री से की दोनों नेताओं के नार्को टेस्ट की मांग

जयपुर।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक दल के राष्ट्रीय संयोजक व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने एक बार फिर अपने विरोधियों को आक्रामक तेवर दिखा दिए हैं। सांसद बेनीवाल ने आज के के बाद एक कई ट्वीट्स करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को निशाने पर लिया। बेनीवाल ने एक बार फिर गहलोत-राजे के बीच गठजोड़ का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से दोनों नेताओं के नार्को टेस्ट तक कराने की मांग कर डाली।
‘एक-दूसरे में भ्रष्टाचार पर डाला पर्दा’
सांसद बेनीवाल ने एक ट्वीट में कहा कि गहलोत-वसुंधरा गठजोड़ की सच्चाई जनहित में मजबूती के साथ सामने आना आवश्यक है, इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से इन दोनों नेताओं के नार्को टेस्ट की मांग है। सांसद ने कहा कि सीएम और पूर्व सीएम का नार्को टेस्ट इसलिए भी होना चाहिए क्योंकि विगत 22 वर्षों से दोनों के आपसी गठजोड़ से जनता त्रस्त है और दोनों ने एक दूसरे के भ्रष्टाचार पर पर्दा डाला हुआ है।
‘कांग्रेस के आरोपों पर राजे की चुप्पी क्यों?’
नागौर सांसद ने पूर्व मुख्यमंत्री पर खुलकर निशाना भी साधा। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों से प्रदेश में अपराध चरम पर है। महिला अपराधों से राजस्थान को शर्मसार होना पड़ रहा है। उसके बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री का कोई बयान तक नहीं आया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की तरफ से जब भी भाजपा पर आरोप लगे, तब राजे अक्सर चुप ही नजर आई। यही बातें राजे-गहलोत के गठजोड़ की कहानी को बयां करती है।
‘एक-दूसरे को बचा रहे दोनों नेता’
सांसद ने एक अन्य ट्वीट में ये भी आरोप लगाए हैं कि प्रदेश में हुए खान घोटाले, माथुर आयोग बनाकर लीपापोती करना, एकल पट्टा प्रकरण, बजरी व परिवहन घोटाला, फन किंगडम स्कैम सहित ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमे दोनों नेताओं ने आपस में मदद करके एक-दूसरे को कानूनी कार्यवाही से बचाया है।
‘दोनों नेता फौजमार कप्तान’
सांसद ने आरोप में कहा कि हाल ही में जब प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की आपसी लड़ाई से सियासी संकट आया तब उसमें भी पूर्व सीएम राजे ने भाजपा का पक्ष लेने की बजाय गहलोत सरकार को बचाने में पूरी मदद की। उन्होंने दोनों नेताओं को फौजमार कप्तान संबोधित किया।
‘राजे का बयान महज़ औपचारिकता’
रालोपा संयोजक ने आरोपों की फहरिस्त में ये भी कहा कि राजस्थान में विपक्षी दल का धर्म निभाने की बजाय राजे अक्सर गहलोत सरकार के कारनामो के विरुद्ध चुप रहीं और 2 वर्ष के कार्यकाल के बाद राजे के बयान आना महज औपचारिकता है।
अब पाइए अपने शहर ( Jaipur News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज