लोकसभा चुनावों को लेकर जहां कांग्रेस और भाजपा अपनी बिसात बिछाने में लगी है, वहीं प्रदेश में अन्य दल भी लोकसभा में अपनी ताकत दिखाने में जुट गए हैं। बसपा ने साफ कर दिया है कि वह सभी 25 सीटों पर चुनाव लडऩे जा रही है, वहीं रालोपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। बेनीवाल अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लडऩे की बात कह रहे हैं।
इन सीटों पर अधिक उम्मीद
विधानसभा चुनाव में रालोपा ने नागौर जिले में दो सीट हासिल की हैं। इनमें खींवसर से खुद हनुमान बेनीवाल तो मेड़ता से इंदिरा देवी विधायक चुनी गई। इसके अलावा जोधपुर जिले के भोपालगढ़ में पुखराज चुनाव जीत चुके हैं। जबकि बाड़मेर और जैसलमेर में भाजपा को हरवाने में रालोपा की अहम भूमिका रही।
ऐसे में नागौर और बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से रालोपा उम्मीद लगाए बैठी है। नागौर से पिछला लोकसभा चुनाव बेनीवाल खुद लड़ चुके हैं। जब उन्हें डेढ़ लाख से अधिक वोट मिले थे। बेनीवाल इस बार भी जाट, पिछड़े, दलित और मुस्लिम वर्ग के साथ युवाओं को साधकर आगे बढऩे की कोशिश कर रहे हैं।
विधानसभा में गठबंधन का हुआ बुरा हश्र
विधानसभा चुनाव में बेनीवाल ने घनश्याम तिवाड़ी की भारत वाहिनी पार्टी से गठबंधन किया था। हालांकि यह गठबंधन नाम का ही साबित हो कर रह गया था। इसकी वजह गठबंधन वाली सीटों पर दोनों ही दलों के उम्मीदवार खड़े होने से पैदा हुई थी। वहीं भारत वाहिनी के अधिकांश उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।