नौ दिनों तक चलने वाली इस पूजा में शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-उपासना बहुत ही विधि-विधान से की जाती है। पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कूष्मांडा, पांचवें दिन मां स्कंदमाता, छठे दिन मां कात्यायनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन मां महागौरी और नवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की। तब से असत्य, अधर्म पर सत्य, धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।
नवरात्रि भारत के विभिन्न भागों में अलग ढंग से मनाई जाती है। गुजरात में इस त्योहार को बड़े पैमाने से मनाया जाता है। गुजरात में नवरात्रि समारोह डांडिया और गरबा के रूप में जान पडता है। पश्चिम बंगाल के राज्य में बंगालियों के मुख्य त्यौहारो में दुर्गा पूजा बंगाली कैलेंडर में, सबसे अलंकृत रूप में उभरा है। इस अदभुत उत्सव का जश्न नीचे दक्षिण, मैसूर के राजसी क्वार्टर को पूरे महीने प्रकाशित करके मनाया जाता है। नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए समर्पित किए गए हैं। त्योहार के पहले दिन बालिकाओं की पूजा की जाती है। दूसरे दिन युवती की पूजा की जाती है। तीसरे दिन जो महिला परिपक्वता के चरण में पहुंच गयी है उसकि पूजा की जाती है। नवरात्रि के चौथे, पांचवें और छठे दिन लक्ष्मी- समृद्धि और शांति की देवी, की पूजा करने के लिए समर्पित है। सातवें दिन, कला और ज्ञान की देवी, सरस्वती, की पूजा की है। नौवा दिन नवरात्रि समारोह का अंतिम दिन है। यह महानवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पर, कन्या पूजन होता है। उन नौ जवान लड़कियों की पूजा होती है जो अभी तक यौवन की अवस्था तक नहीं पहुँची है। इन नौ लड़कियों को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है।
नवरात्र के इस शुभ अवसर पर लोग अपने प्रियजनों को शुभकामना संदेश भेजते हैं इस मौके पर हम आपके लिए लाए हैं कुछ खास संदेश – हमको था इंतजार वो घड़ी आ गई.
होकर सिंह पर सवार
माता रानी आ गई.
शुभ नवरात्रि
माता रानी वरदान ना देना हमें,
बस थोडा सा प्यार देना हमें,
तेरे चरणों में बीते ये जीवन सारा,
एक बस यही आशीर्वाद देना हमें।
आप सब को नवरात्रि की शुभ कामनायें। रूठी है तो मना लेंगे,
पास अपने उसे बुला लेंगे,
मैया है वो दिल की भोली,
बातों में उसे लगा लेंगे,
Happy Navratri
डांडिया की गूंज मन को लुभा रही है
गरबे की धूम सबको बहका रही है
हो जाओ तुम भी इसमें शामिल
नवरात्रि की हर रात तुमको बुला रही है ,जय माता दी नवरात्रों के आगमन की तैयारी;
राम-सीता के मिलन की तैयारी;
असत्य पर सत्य की जीत की तैयारी;
हो सबको आज इन पवित्र त्यौहारों की बधाई।
नवरात्रि की शुभकामनाएं!
माँ की ज्योति से प्रेम मिलता है,
सबके दिलो को आनंद मिलता है,
जो भी जाता है माता के द्वार,
उसे कुछ न कुछ जरूर मिलता है। शुभ नवरात्री, जय माता दी। लक्ष्मी का हाथ हो,
सरस्वती का साथ हो,
गणेश का निवास हो और
माँ दुर्गा के आशीर्वाद से
आपके जीवन में प्रकाश ही प्रकाश हो ।
जय माता दी व शुभ नवरात्री। मेरी हंसी का हिसाब कौन करेगा;
मेरी गलती को माफ़ कौन करेगा;
ऐ खुदा मेरे सभी दोस्तों को सलामत रखना;
वरना नवरात्रि में ‘लुंगी डांस’ कौन करेगा।
नवरात्रि की शुभकामनाएं!