हरीश चौधरी ने सोमवार शाम अपने आवास पर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि राजस्थान में ओबीसी वर्ग को 21 फीसदी आरक्षण मिला हुआ है लेकिन भर्तियों को लेकर कार्मिक विभाग ने जो रोस्टर बनाया है वह सही नहीं है। पिछले सालों में हुई भर्तियों में ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय किया गया है। हरीश चौधरी ने कहा कि सिस्टम में बैठे लोग चाहते हैं कि सामान्य घरों के छात्र आंदोलन की राह पकड़े और उन पर मुकदमे दर्ज हो ताकि उन्हें भविष्य में सरकारी नौकरी नहीं मिल पाए लेकिन अब समय बदल गया है। हम हमारा हक और अधिकार लेने के लिए नई परिस्थितियों के नए हथियार से आंदोलन करेंगे।
जिलों में चलाएंगे आंदोलन
हरीश चौधरी ने कहा कि ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ हो रहे अन्याय के विरोध में सभी जिलों में ओबीसी संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलन शुरू किए जाएंगे। ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को इसके बारे में बताया जाएगा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी इसके बारे में अभ्यर्थियों को जानकारी दी जाएगी।
सरकार भर्तियों के उप नियम वापस ले सरकार
हरीश चौधरी ने कहा कि मैं इस मामले को लेकर दो बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिला हूं और उनके सामने भी इस मामले को उठाया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत संवेदनशील आदमी है इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि सरकार कार्मिक विभाग की ओर से भर्तियों में बनाए गए उप नियम वापस लेगी। हरीश चौधरी ने कहा कि यह कोई सरकार पर सवाल खड़े करने का मामला नहीं है बल्कि यह दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लाखों अभ्यर्थियों को न्याय दिलाने का मामला है। उन्होंने मकहा कि मैं पार्टी के भीतर भी इस मामले को जोर-शोर से उठा रहा हूं।
ईडब्ल्यूएस पर कोई विवाद नहीं हुआ
पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि ईडब्ल्यूएस को लेकर कभी कोई विवाद नहीं हुआ। सबने मेज थपथपा कर इसका समर्थन किया था। हरीश चौधरी ने कहा कि जब गरीब व्यक्ति के लिए नियम बनते हैं तो उस पर विवाद होता है और जब अमीर आदमी के लिए कोई नियम बनते हैं तो उस पर कभी कोई विवाद नहीं होता।
हरीश चौधरी के बयान के सियासी मायने
वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी की ओर से अपनी सरकार पर सवाल खड़े करने के बाद सियासी गलियारों में भी उनके बयान की कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि हरीश चौधरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का करीबी माना जाता है लेकिन ओबीसी वर्ग के मामले को उठाकर हरीश चौधरी मैं एक तीर से कई निशाने साधे हैं। माना जा रहा है कि हरीश चौधरी के इस बयान के बाद सरकार के लिए भी कई तरह की मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।