यह कहना है दो बार विधानसभा अध्यक्ष और उप-मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य रहे हरिशंकर भाभड़ा का। भाभड़ा 1952 से राजनीति में हैं। उनके जीवन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रभाव रहा है। भाभड़ा राजनीति को मिशन बताते हैं। वह आज की राजनीति से काफी नाखुश हैं। 90 वर्षीय हरिशंकर भाभड़ा ने राजनीति में आ रहे बदलाव और उसमें सुधार की संभावनाओं को लेकर राजस्थान पत्रिका से खुलकर बात की।
राजनीति में आज किस तरह का बदलाव देख रहे हैं?
भाभड़ा- पहले लोग राजनीति में जनसेवा की सोच लेकर आते थे। कांग्रेस को भी सत्ता का अनुभव नहीं था। वह भी आजादी के लिए संघर्ष करते हुए सत्ता में आई थी। आजादी के बाद बहुत से कार्य सेवा से ही हो सकते थे। पर आज राजनीति की बुराइयां और सत्ता की लालसा ही नेताओं में हावी है। इसलिए राजनीति क चरित्र और ईमानदारी में कमी आ गई है। नेता स्वार्थसिद्धि में लगे हैं और राजनीति का पतन हो रहा है।
भाभड़ा- पहले लोग राजनीति में जनसेवा की सोच लेकर आते थे। कांग्रेस को भी सत्ता का अनुभव नहीं था। वह भी आजादी के लिए संघर्ष करते हुए सत्ता में आई थी। आजादी के बाद बहुत से कार्य सेवा से ही हो सकते थे। पर आज राजनीति की बुराइयां और सत्ता की लालसा ही नेताओं में हावी है। इसलिए राजनीति क चरित्र और ईमानदारी में कमी आ गई है। नेता स्वार्थसिद्धि में लगे हैं और राजनीति का पतन हो रहा है।
सियासी सफर में आपका आदर्श कौन रहा है?
भाभड़ा- एक व्यक्तिआदर्श नहीं रहा। पहले सभी अपने आप में आदर्श थे। गॉडफादर बनाने के बजाय सिद्धान्तों को जीवन में उतारने का प्रयास किया। 1952 में ही राजनीति में आ गए, लेकिन शुरू से ही जनसंघ के लिए कार्य किया। सिद्धान्तों की बात करते हुए ही आगे बढ़ते गए।
भाभड़ा- एक व्यक्तिआदर्श नहीं रहा। पहले सभी अपने आप में आदर्श थे। गॉडफादर बनाने के बजाय सिद्धान्तों को जीवन में उतारने का प्रयास किया। 1952 में ही राजनीति में आ गए, लेकिन शुरू से ही जनसंघ के लिए कार्य किया। सिद्धान्तों की बात करते हुए ही आगे बढ़ते गए।
आपके राजनीतिक जीवन का सबसे सुखद पल कौन-सा था ?
भाभड़ा- जिस मकसद से राजनीति में आए , उसको पूरा करना ही सबसे सुखद पल है। चूरू में रतनगढ़ चुनावी क्षेत्र रहा। पहले वहां कुछ नहीं था। मूलभूत सुविधाओं से लोग महरूम थे। गांवों में पानी और बिजली पहुंचाई। लोगों को सुविधा मिली और मुझे खुशी। शुरू में लोग कहते थे,बाहरी व्यक्ति है कहां ढूंढते फिरेंगे? लेकिन लोगों को अपने पास बुलाने के बजाय समस्याएं दूर करने के लिए सदैव उनके पास रहा। कॉलेज, स्कूल खुलवाए। उद्योग लगवाए, सड़कें बनवाईं। प्रचार के बजाय स्वयं के संतोष के लिए कार्य किया।
राजनीति में कौन-सी बात आपको दुख पहुंचाती है?
भाभड़ा- पद और टिकट के लिए दौड़भाग करने वाले राजनीति खराब कर रहे हैं, यह देखकर बड़ा दुख होता है। अपने जीवनकाल में कभी टिकट नहीं मांगा, न ही दवाब बनाया और न ही लॉबिंग की। पार्टी ने स्वयं ही टिकट दिया। आज तो लोग गॉडफादर बना लेते हैं ।
भाभड़ा- पद और टिकट के लिए दौड़भाग करने वाले राजनीति खराब कर रहे हैं, यह देखकर बड़ा दुख होता है। अपने जीवनकाल में कभी टिकट नहीं मांगा, न ही दवाब बनाया और न ही लॉबिंग की। पार्टी ने स्वयं ही टिकट दिया। आज तो लोग गॉडफादर बना लेते हैं ।
राजनीति में सुधार के लिए क्या उपाय किए जाएं?
भाभड़ा- छात्रसंघ चुनाव के समय से ही सीख देने की जरूरत है, क्योंकि छात्र राजनीति में आने वाले सक्रिय राजनीति वालों से दो कदम आगे दिखते हैं। ईमानदारी से काम करने की जरूरत है।