scriptHavoc wreaks havoc in SMS hospital, patients are becoming victims | एसएमएस अस्पताल में लपकों का कहर, मरीज हो रहें शिकार | Patrika News

एसएमएस अस्पताल में लपकों का कहर, मरीज हो रहें शिकार

locationजयपुरPublished: Jan 01, 2023 06:50:01 pm

Submitted by:

Manish Chaturvedi

एसएमएस अस्पताल में दवा नहीं मिलने से परेशान मरीज लपकों का शिकार हो रहें है।

एसएमएस अस्पताल में लपकों का कहर, मरीज हो रहें शिकार
एसएमएस अस्पताल में लपकों का कहर, मरीज हो रहें शिकार

जयपुर। एसएमएस अस्पताल में दवा नहीं मिलने से परेशान मरीज लपकों का शिकार हो रहें है। जहां अस्पताल के डीडीसी काउंटर के बाहर खड़े दलालों के द्वारा मरीज को दस की दवा सत्तर में मिल रही है। अस्पताल में कई दवाईयों की कमी के कारण लपके अस्पताल परिसर में मरीजों की जेब काट रहे है। ऐसे में अस्पताल की ओपीडी में दिखाने के बाद जैसे ही मरीज या उसका परिजन डीडीसी काउंटर से दवा लेकर निकलता है। तो लपके मरीजों की पर्ची को लपक लेते है। और सस्ती दवा का लालच देकर निजी मेडिकल स्टोर पर ले जाकर दवा दिलवा रहे है। जबकि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में इलाज और दवाईयां पूरी तरह फ्री है।

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अस्पताल में गत कुछ दिनों से जरूरी जीवन रक्षक दवाईयों की सप्लाई ठीक से नहीं होने से दवाईयों की कमी चल रही है। जिसके कारण मरीज की जो दवाई उपलब्ध नहीं है उनकी पर्ची पर डीडीसी से दवाईयां अनुपलब्ध की सील लगाकर उसे डीडीसी पर भेजा जाता है। जहां पर भीड़ होने के कारण कागजी कार्रवाई में समय लग रहा है। काउंटर पर दवाईयां अनुपलब्ध होने के साइड इफेक्ट दिखने लगे है कि लपके फिर से अस्पताल परिसर में मरीजों की जेब काटने के लिए एक्टिव हो गए है। पहले मरीज दवा के लिए चक्कर लगाता रहता है और फिर लपके मरीजों को लपक रहे हैं।
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अस्पताल में भर्ती मरीजों को फ्री में इलाज, दवा और जांच की सुविधा मिले। इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग कई घोषणाएं कर चुका है। कई करोड़ रुपए खर्च कर इन योजनाओं के क्रियान्वन के लिए मुख्यमंत्री लगातार खुद प्रयास कर रहे है। लेकिन मुख्यमंत्री की फ्री दवा और जांच योजना को लपके बार बार आंख दिखा रहे है। एसएमएस में दिखाने आने वाले मरीजों को यह लपके फ्री काउंटर तक पहुंचने से पहले ही दवा और जांच में डिस्काउंट का झांसा दे अपने कमीशन वाली मेडिकल की दुकानों पर ले जाते है।

पिछले साल एक अप्रैल से फ्री दवा और निःशुल्क जांच के आदेश के बाद से लपको का आना जाना बंद सा हो गया था। लेकिन अब अस्पताल में दवाईयां अनुपलब्ध हुई तो यह फिर से एक्टिव हो गए। जो मरीज या उनके परिजनों के हाथ में दवा की पर्ची देखकर यह लपके उन्हें घेर लेते है और किसी को दवा पर 25 प्रतिशत डिस्काउंट कहकर उसके पीछे पीछे हो लेते है और पर्ची पकड़कर दवा की दुकान पर ले जाते है।

अस्पताल में थाना और 100 से ज्यादा सुरक्षा कर्मी है। लेकिन हालात यह है कि महिलाओं और युवतियों को पीछे पीछे यह लपके हो लेते है। जिन्हें कोई सुरक्षाकर्मी तक रोकता टोकता नहीं है। जबकि अस्पताल परिसर में ही में स्थित पुलिस थाने में 60 से ज्यादा पुलिसकर्मी और अस्पताल के 100 से ज्यादा निजी सुरक्षाकर्मी मौजूद हैं। फिर भी इन्हें कोई रोक नहीं पा रहा है।

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