एडवोकेट आर.के.गौतम ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता का १५ नवंबर, २०१४ को पुलिस इंस्पेक्टर पद से डीएसपी पद पद प्रमोशन हुआ था। लेकिन,उसके खिलाफ एसीबी में आपराधिक केस लंबित होने के कारण प्रमोशन के निर्णय को सील कवर में बंद रखा गया था जिसे आज तक नहीं खोला है और प्रमोशन आदेश भी जारी नहीं किए हैं। जबकि सरकार ने अखिल भारतीय सेवा के कई आईएएस और आईपीएस सहित राज्य सेवा के भी कई अधिकारियों को आपराधिक केस लंबित होने के बावजूद ना केवल उनके प्रमोशन संबंधी कवर खोले बल्कि उन्हें प्रमोशन भी दे दिया। पुलिस इंस्पेक्टर पद पर रहते हुए कैलाश चन्द्र बोहरा,कुशालराम चौरडि़या,जोधाराम गुर्जर,प्रमोद स्वामी और जयपाल धारनिया के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हुए थे। इसके बावजूद सरकार ने इन्हें डीएसपी के पद पर प्रमोशन दे दिया। इसके अलावा आईएएस अशोक सिंघवी सहित कई आईपीएस अफसरों को भी आपराधिक केस लंबित होने के बावजूद प्रमोशन दिए गए। यह संविधान के अनुच्छेद-१४ के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है इसलिए उसके प्रमोशन के लिफाफे को खोलने के आदेश दिए जाएं। इस पर कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अखिल भारतीय सेवा और राज्य के सेवा के अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक केस लंबित होने पर उनके प्रमोशन के लिफाफे सील कवर में रखने और उन्हें खोलने के संबंध में पॉलिसी बताने केा कहा है। मामले में अगली सुनवाई १९ फरवरी को होगी।