कोर्ट ने सरकार को स्टेट लेवल की मैरिट लिस्ट तैयार करके इस लिस्ट में से 644 नंबर से 1000 नंबर तक के दस्तावेज वैरीफाई करने और सलेक्ट लिस्ट जारी कर 15 दिन पदभार ग्रहण का समय देकर नियुक्तियां देने को कहा है। यदि इसके बाद भी पद रिक्त रहें तो मैरिट में 1000 से 1500 तक वालों को बुलाने और यदि फिर भी पद रिक्त रहें तो 500-500 के ग्रुप में बाकी कैंडीडेट को मैरिट के अनुसार बुलाकर अन्य प्रकार से योग्य होने पर सभी 428 पद भरने तक इसी प्रक्रिया से मैरिट से सलेक्शन करके नियुक्तियां देने केा कहा है।
यह था मामला- संस्कृत शिक्षा विभाग ने 6 दिसंबर,२०१८ को गणित और विज्ञान विषय में तृतीय श्रेणी शिक्षक लेवल-२ के ४२८ पद भरने को विज्ञापन जारी किया था। विज्ञापन के अनुसार चयन राज्य स्तरीय मैरिट से होना था। यह मैरिट लिस्ट रीट के कुल नंबर में से ७० और ग्रेजुएशन के नंबरों मंे से ३० फीसदी अंक जोड़कर बनने थे। विभाग ने ४२८ सलेक्टेड कैंडीडेट की और २१५ कैंडीडेट की रिजर्व लिस्ट जारी की। दस्तावेज सत्यापन के बाद इन दोनों लिस्ट में से कुल ३८९ को नियुक्ति के योग्य माना। लेकिन,मात्र ५० कैंडीडेट ने ही नियुक्ति स्वीकार की और शेष ३५६ पद रिक्त रहे।
याचिकाकर्ता का कहना था ४२८ की लिस्ट को सलेक्टेड कैंडीडेट कहना गलत है। जबकि सरकार का कहना था कि दोनों लिस्ट राजस्थान संस्कृत शिक्षा व अधीनस्थ सेवा (स्कूल ब्रांच) नियम २०१५ के नियम-२६ के तहत जारी की हैं और सही हैं। दोनों लिस्ट में से नियुक्ति देने के बावजूद पद रिक्त रह गए। रिजर्व लिस्ट केवल ६ महीने ही प्रभावी रहती है इसलिए अब बाकी पद नई नियुक्ति प्रक्रिया से ही भरे जाएंगे।
मैरिट और सलेक्ट लिस्ट में है सूक्ष्म अंतर- कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने विज्ञापन की शर्तों के विपरीत काम किया। ६४९ अभ्यर्थियों के दस्तावेज प्रमाणित करने के बाद बाकी के लिए दरवाजे बंद कर दिए। नियम-२५ के तहत लिखित परीक्षा होनी चाहिए थी जो नहीं ली गई। ४२८ की लिस्ट जारी करना गैर-कानूनी था। पहले सभी श्रेणियों की मेरिट लिस्ट बननी चाहिए थी और इसके बाद ही दस्तावेजों का सत्यापन होना चाहिए था।
२१५ कैंडीडेट की रिजर्व लिस्ट जारी करना विज्ञापन के विपरीत है और विज्ञापन के अनुसार ही मैरिट के अनुसार ४२८ कैंडीडेट की लिस्ट बननी चाहिए थी। सरकार सलेक्ट लिस्ट और मैरिट लिस्ट के सूक्ष्म अंतर को भूल गई। सबसे पहले मैरिट के अनुसार एक ही लिस्ट बननी चाहिए थी लेकिन नहीं बनी। ४२८ कैंडीडेट की लिस्ट भी मात्र श्रेणीवार पहले ४२८ की मैरिट लिस्ट थी और कुछ नहीं। सरकार को ३५६ पद रिक्त रहने पर बाकी कैंडीडेट को बुलाना चाहिए था। २१५ कैंडीडेट की लिस्ट रिजर्व लिस्ट नहीं थी क्यों कि इस लिस्ट में ही अस्थाई प्रतीक्षा सूची लिखा है। सलेक्शन के लिए ४२८ और कथित रिजर्व लिस्ट के २१५ कैंडीडेट के दस्तावेजों का वैरीफिकेशन किया गया और ३८९ सलेक्टेड कैंडीडेट इन दोनों ही लिस्ट में से लिए गए। वास्तव में रिजर्व लिस्ट तो जारी ही नहीं हुई।