प्रतापनगर थाना इलाके में रहने वाले आरिफ नाम के व्यक्ति का अपनी पत्नी से विवाद चल रहा है। इसी विवाद के चलते फैमिली कोर्ट ने उसे बेटे को पत्नी की कस्टडी में सौंपने और पुलिस को आदेश की पालना करवाने की जिम्मेदारी दी थी। आरिफ अपने बेटे को लेकर गायब हो गया। पुलिस ने आरिफ पर दबाव बनाने के लिए सवाईमाधोपुर के गंगापुर सिटी में रहने वाले और चाय की दुकान चलाने वाले उसके जीजा युनूस खान को 17 नवंबर को उठा लिया और थाने में रखा।
इसकी जानकारी मिलने पर आरिफ ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट ने प्रतापनगर थाना पुलिस को नोटिस जारी करके युनूस को पेश करने के निर्देश दिए। आरिफ के वकील अब्दुल रहीम खान ने बताया कि प्रतापनगर थाने को 21 नवंबर को हाईकोर्ट के नोटिस मिले और उन्होंने दूसरे दिन 22 नवंबर को युनूस को छोड़ दिया। हाईकोर्ट में पेश जवाब में पुलिस ने पूछताछ के लिए युनूस को लाना और करीब आठ घंटे तक थाने में रखना स्वीकार किया लेकिन उसे लाने व छोडऩे की कोई एंट्री रोजनामचे में दर्ज नहीं की। जबकि कानूनी तौर पर पुलिस यदि किसी व्यक्ति को पूछताछ के लिए भी थाने में बुलाती है तो इसकी एंट्री रोजनामचे मंे दर्ज करना जरुरी है और यदि वह दूसरे शहर से किसी को लाती है तो स्थानीय पुलिस को सूचना देना भी जरुरी है। लेकिन प्रतापनगर थाना पुलिस ने ना तो गंगापुर सिटी की पुलिस को सूचित किया था और ना ही युनूस को थाने में लाने,रखने और छोडऩे की एंट्री रोजनामचे में दर्ज की है। पुलिस हिरासत में रखने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट कई गाईड लाइंस जारी कर चुका है इसके बावजूद पुलिस ने ना कानून की परवाह की और ना ही सुप्रीम कोर्ट गाईड लाईंस की ही पालना की। याचिकाकर्ता ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के निर्देश देने की गुहार की है।