जयपुर

दिव्यांग बेटी की मां के ट्रांसफर पर क्यों नहीं कर रहे विचार ?-हाईकोर्ट

(Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट ने एक 15 साल की 85 फीसदी मानसिक दिव्यांग बेटी की घर से करीब एक हजार किलोमीटर दूर पदस्थापित लैक्चरर मां के (transfer) ट्रांसफर पर विचार नहीं करने पर प्रमुख सचिव शिक्षा और निदेशक सैकेंडरी शिक्षा से जवाब मांगा है। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने यह अंतरिम आदेश सरोज रानी की याचिका पर दिए।

जयपुरDec 03, 2019 / 08:17 pm

Mukesh Sharma

दिव्यांग बेटी की मां के ट्रांसफर पर क्यों नहीं कर रहे विचार ?-हाईकोर्ट

जयपुर
(Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट ने एक 15 साल की 85 फीसदी मानसिक दिव्यांग बेटी की घर से करीब एक हजार किलोमीटर दूर पदस्थापित लैक्चरर मां के (transfer) ट्रांसफर पर विचार नहीं करने पर प्रमुख सचिव शिक्षा और निदेशक सैकेंडरी शिक्षा से जवाब मांगा है। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने यह अंतरिम आदेश सरोज रानी की याचिका पर दिए।
एडवोकेट मोहित बलदवा ने बताया कि याचिकाकर्ता 2017 में बतौर फस्र्ट ग्रेड स्कूल लैक्चरर सलेक्ट हुई और दो साल के प्रोबेशन के लिए उन्हें बारां जिले के छबडा में पदस्थापित किया था। मूल रुप से श्रीगंगानगर की रहने वाली याचिकाकर्ता के दो बेटियां हैं। इनमें से एक बेटी १५ साल की है लेकिन वह मानसिक तौर पर 85 फीसदी दिव्यांग है। पति निजी नौकरी करते हैं और सास-ससुर की मृत्यु हो चुकी है। दिव्यांग बेटी को याचिकाकर्ता के बुजुर्ग माता-पिता के पास रहना पड़ता है लेकिन ज्यादा आयु के कारण उन्हें देखभाल में परेशानी होती है। तीन जुलाई,2019 को प्रोबेशन समाप्त होने पर ऑन लाईन ट्रांसफर के लिए आवेदन किया था और हालात की जानकारी भी दे दी थी। याचिकाकर्ता वर्तमान में प्रेग्नेंट भी है लेकिन,इसके बावजूद सरकार ने ना तो अर्जी का निपटारा किया और ना ही ट्रांसफर किया। याचिकाकर्ता ने अदालत से सरकार को ट्रांसफर की अर्जी का निपटारा करने या ट्रांसफर करने के निर्देश देने की गुहार की है।
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