24 साल बाद अचानक बंद की पॉलिसी-
याचिकाकर्ता ने 1995 में व्यक्तिगत मेडीक्लेम पॉलिसी ली थी और तब से निरंतर प्रीमियम देकर नवीनीकरण करवा रहे थे। 22 मार्च,2019 को ही 21 मार्च,2020 तक के लिए पॉलिसी का नवीनीकरण करवाया था। कंपनी ने 2020 से 2021 तक के नवीनीकरण के लिए मना कर दिया और कहा कि कंपनी ने व्यक्तिगत मेडीक्लेम बीमा पॉलिसी बंद कर दी है। कंपनी ने याचिकाकर्ता को इसके स्थान पर व्यक्तिगत हैल्थ इंश्योरेंस या फैमिली पॉलिसी लेने की सलाह दी।
नई पॉलिसी में घटाए लाभ-
याचिकाकर्ता ने कंपनी के बताई दोनों नई पॉलिसियों का अध्ययन किया तो पता चला कि नई बीमा पॉलिसी में बीमा करवाने वाले के लाभ कम कर दिए हैं और बीमा प्रीमियम भी बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। व्यक्तिगत मेडीक्लेम पॉलिसी में अस्पताल के रुम का पूरा किराए का पुर्नभुगतान मिलता है जबकि,दोनों नई बीमा पॉलिसियों में रुम चार्जेज के लिए कुल बीमा राशि का मात्र एक प्रतिशत ही पुर्नभुगतान किया जाएगा। उदाहरण के तौर पर यदि किसी ने एक लाख की पॉलिसी ली है तो उसे रूम चार्जेज के मात्र 1000 रुपए ही मिलेगें जबकि,जयपुर जैसे शहर में बड़े अस्पतालों में सामान्य वार्ड में भी 1000 रुपए से ज्यादा लगते हैं।
मूल प्रस्तावना का है उल्लंघन-
कंपनी का व्यक्तिगत मेडीक्लेम बीमा पॉलिसी को बंद करना जनरल इंश्योरेंस राष्ट्रीयकरण कानून-1972 की प्रस्तावना के विपरीत,असंविधानिक,गैर-कानूनी और मनमाना है। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) के नियमों के अनुसार भी कोई बीमा कंपनी किसी बीमा पॉलिसी प्रोडक्ट को अचानक बंद करके बीमा धारक को अन्य बीमा पॉलिसी लेने को बाध्य नहीं कर सकती। इरडा के नियमों के अनुसार बीमा कंपनी बदली या दूसरी पॉलिसी ली जा सकती है,लेकिन यह अधिकार भी केवल बीमाधारक को है ना की बीमा कंपनी को।
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के विपरीत है-
सुप्रीम कोर्ट तय कर चुका है कि व्यक्तिगत मेडीक्लेम पॉलिसी प्रीमियम राशि चुकाए जाने तक जारी रहेगी। बीमा कंपनी को मनमाने तरीके से एेसी पॉलिसी का नवीनीकरण से इनकार करने का कोई अधिकार नहीं है। बीमा पॉलिसी का नवीनीकरण का अर्थ ऑरिजनल पॉलिसी को उन्हीं शर्तों को दोहराना या पुरानी शर्तों पर एक और साल के लिए बढ़ाना है। यानि पुरानी पॉलिसी एक और साल के लिए ज्यों की त्यों जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार जब कोई धोखाधड़ी या महत्वपूर्ण जानकारियां छिपाने का मामला ना हो तो,बीमा कंपनी ऑरिजनल बीमा पॉलिसी को वर्तमान फायदों के साथ नवीनीकरण करने को बाध्य है। और यदि बीमा कंपनी एेसा नहीं करती है तो यह करार की शर्तों का उल्लंघन होगा। सरकारी अस्पताल बड़ी जनसंख्या के लिए पर्याप्त नहीं हैं इसलिए,व्यक्तिगत मेडीक्लेम पॉलिसी कल्याणकारी सरकार में कल्याणकारी योजना के तहत है। इरडा का बीमा कंपनी को व्यक्तिगत मेडीक्लेम पॉलिसी बंद करने की अनुमति देना गैर-कानूनी है।