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कुरियर बॉय बनकर किया गिरफ्तार,अब सीबीआई करेगी जांच

locationजयपुरPublished: Dec 05, 2019 08:37:38 pm

Submitted by:

Mukesh Sharma

ज्योति नगर थाना पुलिस को एक व्यक्ति को रात साढे नौ बजे उसके घर से उठाकर गिरफ्तार करने और झूठी एफआईआर दर्ज करना भारी पड़ गया । (Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट ने एफआईआर (quashed) रद्द कर दी है और याचिकाकर्ता मोईनुद्दीन कुरैशी को (CBI) सीबीआई में (complaint) शिकायत देने और सीबीआई को शिकायत मिलने पर जांच करने के आदेश दिए हैं।

जयपुर

ज्योति नगर थाना पुलिस को एक व्यक्ति को रात साढे नौ बजे उसके घर से उठाकर गिरफ्तार करने और उसके व उसके दो बेटों के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करना भारी पड़ गया है। (Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट ने झूठी एफआईआर (quashed) रद्द कर दी है और याचिकाकर्ता मोईनुद्दीन कुरैशी को (CBI) सीबीआई में (complaint) शिकायत देने और सीबीआई को शिकायत मिलने पर जांच करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस पंकज भंडारी ने यह आदेश मोइनुद्ीन कुरैशी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए।
एडवोकेट अनिल उपमन ने बताया कि किदवई नगर के रहने वाले मोईनुद्दीन कुरैशी जमीन कारोबारी हैं। एक भूखंड के संबंध में उनके और उनके पार्टनर के खिलाफ 2015 में एक एफआईआर दर्ज हुई थी। इस मामले में पुलिस ने मोईनुद्दीन को तो दोषी माना लेकिन उसके पार्टनर अशफाक अहमद को क्लीन चिट दे दी थी। पुलिस ने मोईनुद्दीन के खिलाफ पुलिस एक्ट की धारा-37 के तहत गिरफ्तारी वारंट प्राप्त किया था। कुरैशी ने इसे चुनौती दी और मजिस्ट्रेट कोर्ट ने तीन जून,2016 को गिरफ्तारी वारंट रद्द कर दिया और पुलिस को सीआरपीसी की धारा-41 के तहत पहले कुरैशी को नोटिस देने को कहा था।
नोटिस तो दिया नहीं बल्कि…

लेकिन,पुलिस ने कोई नोटिस नहीं दिया बल्कि 27 जून,2016 को रात करीब साढे नौ बजे पुलिसकर्मी एक जीप में भरकर कुरैशी के घर पहुंचे। सादे कपडों में एक पुलिसकर्मी ने खुद को कोरियर वाला बताकर दरवाजा खुलवाया और कुरैशी को बाहर बुलाया। कुरैशी वापिस अंदर गए तो साथ आए पुलिसकर्मी उन्हें घर के अंदर से पकड़ लाए और जीप में बैठा लिया। पीछे भागकर आए कुरैशी के बेटे ने पुलिस को कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट रद्द होने की जानकारी दी लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी और कुरैशी को थाने ले गई।
और दर्ज की नई एफआईआर…

पुलिस ने कुरैशी और उसके दो बेटों के खिलाफ राजकार्य में बाधा ड़ालने,पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट करने और अपने पिता को पुलिस हिरासत से भगाने की कोशिश करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कर ली। आनन-फानन में अनुसंधान पूरा करके अपराध भी प्रमाणित मान लिया। कुरैशी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एफआईआर रद्द करने और सीबीआई से जांच करवाने की गुहार की। कुरैशी के घर में लगे सीसीटीवी कैमरों में पूरी घटना दर्ज थी। कोर्ट में घटना की फुटेज चलाकर भी दिखाई गईं।
पुलिस ने की अवहेलना…

जस्टिस पंकज भंडारी ने आदेश में कहा है कि पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट की गाईड लाईंस की अवहेलना की है। मजिस्ट्रेट कोर्ट गिरफ्तारी वारंट रद्द कर धारा-४१ के तहत पहले नोटिस देने को कह चुका था। इसके बावजूद पुलिस ने नोटिस नहीं दिया और यह रोजनामचे से साबित है। एरेस्ट मीमो पर याचिकाकर्ता के घर के आस-पास रहने वाले किसी गवाह या रिश्तेदार के दस्तखत नहीं हैं। सीसीटीवी फुटेज से साबित है कि ना तो याचिकाकर्ता ने और ना ही उसके बेटों ने पुलिस पर कोई हमला किया। ना ही याचिकाकर्ता के हिरासत से भागने और उसके बेटों की भागने में मदद करने और ना पुलिसकर्मियों को चोट पहुंचाने की कोई फुटेज है। सीआईडी सीबी ने भी सीसीटीवी फुटेज को दरकिनार कर पुलिसकर्मियों को बचाने की ही कोशिश की है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग हिरासत में याचिकाकर्ता के साथ पुलिस मारपीट की बात मान चुका है और उसे सरकार से 25 हजार रुपए मुआवजा भी दिलवा चुका है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता और उनके बेटो के खिलाफ दर्ज पुलिस पर हमला करने और भागने की कोशिश करने के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। याचिकाकर्ता को सीबीआई में शिकायत दर्ज करवाने की छूट देते हुए सीबीआई को शिकायत मिलने पर जांच करने के निर्देश दिए हैं

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